पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में ग्रामीण विकास को नई दिशा देने के लिए “एक गाँव, पाँच उद्यम” योजना के तहत बड़ा कदम उठाया गया है। हाल ही में ज़िले के सभी प्रमुख अधिकारियों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें इस योजना को ज़मीन पर उतारने की रणनीति पर चर्चा की गई। इस योजना के तहत जिले के सातों ब्लॉकों में ₹700 करोड़ से अधिक के समग्र विकास की योजना बनाई गई है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, शिक्षा अधिकारी, आपूर्ति अधिकारी, कौशल विकास अधिकारी, एलडीएम और उपजिलाधिकारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। सभी ने मिलकर यह तय किया कि पीलीभीत के गाँवों को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए और हर गाँव में कम से कम पाँच छोटे उद्यम खड़े किए जाएँ।
क्या है “एक गाँव, पाँच उद्यम” योजना?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर गाँव में स्थानीय संसाधनों और लोगों की प्रतिभा का इस्तेमाल करते हुए पाँच अलग-अलग तरह के व्यवसाय खड़े किए जाएँ। ये व्यवसाय हो सकते हैं:
फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स
हस्तशिल्प केंद्र
डेयरी और बुनाई उद्योग
मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन
जैविक खेती और मत्स्य पालन
इससे गाँवों में न सिर्फ़ रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि लोगों की आय में भी इज़ाफा होगा।
पीलीभीत के विकास के पाँच मजबूत स्तंभ:
इको टूरिज्म: पीलीभीत के प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए पर्यटन आधारित उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय गाइड, होमस्टे और अन्य सेवाओं के माध्यम से रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे।
वेलनेस सेंटर: आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित स्वास्थ्य सेवाएँ गाँवों में उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता आएगी।
खाद्य प्रसंस्करण: किसान अपने उत्पादन को सीधे बाजार तक नहीं ले जा पाते, लेकिन फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के ज़रिए अब उत्पादों का मूल्य संवर्धन होगा।
कृषि एवं सहकारिता: आधुनिक खेती, जैविक उत्पाद और सहकारी समितियों की मदद से किसानों की आय बढ़ेगी।
स्मार्ट फार्मिंग टेक्नोलॉजी: ड्रोन, पॉलीहाउस, ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों को अपनाकर कृषि को आधुनिक बनाया जाएगा।
गाँव में ही मिलेगा रोज़गार और पहचान:
यह योजना खासतौर पर युवाओं, महिलाओं, किसानों और कारीगरों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। अब युवाओं को रोज़गार के लिए शहरों की तरफ भागना नहीं पड़ेगा। गाँव में ही उन्हें उद्यम करने, सीखने और आगे बढ़ने का मंच मिलेगा।
उद्यमियों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दी जाएगी।
सरकारी योजनाओं से आसान ऋण सुविधा मिलेगी।
उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग में भी मदद की जाएगी।
गाँवों से शुरू होगी नई सोच की क्रांति:
“एक गाँव, पाँच उद्यम” सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है, यह गाँवों की सोच को बदलने की कोशिश है। यह गाँवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐसा कदम है, जिससे भविष्य में गाँव और शहर के बीच का फासला कम होगा। अब वह समय दूर नहीं जब गाँवों में केवल खेती ही नहीं, बल्कि उद्योग, हस्तकला, सेवा क्षेत्र और तकनीकी पहल भी देखने को मिलेंगी।
जब गाँव मजबूत होंगे, देश बनेगा समृद्ध:
यह योजना भारत के भविष्य की नींव है। जब हर गाँव में पाँच सफल उद्यम होंगे, तब न केवल आर्थिक मजबूती आएगी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान भी बनेगी। गाँव कह सकेंगे – “हमने खुद को बनाया है, अब हमें किसी सहारे की ज़रूरत नहीं।”
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