आप नेता केजरीवाल अपने जाल में खुद फंसते नज़र आ रहे
दिल्ली उच्च न्यायालय से शराब घोटाले में केजरीवाल को तगड़ा झटका
*कुमार राकेश
आप नेता अरविन्द केजरीवाल आज अपने बुने हुए जाल में फंस चुके हैं. कभी राजनीति में शुचिता को स्थापित करने का दावा करने वाले केजरीवाल देश की नीति,रीति और कानून को कुछ नहीं समझ रहे .इसका सबूत ये हैं कि केजरीवाल अब तक प्रवर्तन निदेशालय (ED)के 9 क़ानूनी नोटिसों को नकार चुके हैं.आज 21 मार्च को दिल्ली उच्चन्यायालय ने भी उन्हें गिरफ्तारी से कोई राहत नहीं दिया हैं. इन नोटिसों की वजह दिल्ली में हुए शराब घोटाला हैं.इस घोटाले को करीब 100 करोड़ का बताया जा रहा हैं.
केजरीवाल को दिल्ली के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय में पूछताछ करना चाहती हैं. केजरीवाल अपनी चिरपरिचित तानाशाही केअंदाज़ में आजतक उस पूछताछ में किसी प्रकार का सहयोग नहीं किया हैं और ना ही करना चाहते हैं. परन्तु ऐसा क्यों? न्यायालय और सरकारी कानूनी नोटिसों की अवहेलना से केजरीवाल क्या सिद्ध करना चाहते हैं?
करीब 12 साल पहले देश में ईमानदारी, शुचिता का परचम लहराकर राजनीति में आये केजरीवाल अपने सभी पुराने कथित मानदंडो को ध्वस्त करल दिया हैं. उनके बारे में ये कहावत भी पूरी तरह चर्चित हो चुकी हैं – कोई ऐसा सगा नहीं, जिसे केजरीवाल ने ठगा नहीं. यदि हम 2012 और 2024 की तुलना करे तो वो आप पार्टी अपने कई पापों से खुद ही घिर चुकी हैं.
केजरीवाल ने अपने कथित झूठ और दिल्ली भाजपा के अन्दर घोर गुटबाजी, कुप्रबधन का फायदा उठाकर तीसरी बार सरकार में हैं. 2025 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हैं. पूरे राजनीतिक माहौल से ऐसा लग रहा हैं कि आने वाले विधान सभा 2025 में केजरीवाल की पार्टी की बोरिया बिस्तर बंध सकती हैं. जैसा कि सबको पता हैं कि कथित दिल्ली शराब घोटाले के परिपेक्ष्य में केजरीवाल के करीबियों में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री रह चुके सत्येन्द्र जैन ,सांसद संजय सिंह प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार हो चुके हैं और जेल में हैं. इन सभी नेताओ को प्रवर्तन निदेशालय ने ही पूछताछ के बाद उनके जवाबों से से अंसतुष्ट होने के बाद गिरफ्तार किया था.मनीष पिछले 14 महोनों से जेल हैं,संजय सिंह पिछले 5 महीनों से जेल हैं.कई प्रकार के उपक्रमों के बावजूद इन सभी नेताओं को न्यायालय से जमानत नहीं मिल सकी हैं.
इसी क्रम में केजरीवाल को भी 21 मार्च को दिल्ली उच्चन्यायालय ने कोई राहत नहीं दिया. वह गिरफ्तारी से राहत चाहते थे. जो नहीं मिल सका. इससे केजरीवाल घोर तनाव में बताये जा रहे हैं. उनके करीबियों के अनुसार – उनको डर है पूछताछ के बहाने ईडी उन्हें गिरफ्तार कर लेगी. इस आशंका से केजरीवाल पिछले करीब 5 महीने से परेशान हैं. केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 2 नवम्बर 2023 को पहला नोटिस भेजा था.उनका मानना हैं निदेशालय का नोटिस पूछताछ के लिए नहीं, गिरफ़्तारी के लिए है तो क्या स्वयं को आम आदमी होने का दावा करने वाले केजरीवाल देश के कानून ,संविधान से ऊपर हैं ?शायद इसी प्रवृति को भारत के गांवो में चोरी और सीना जोरी कहा जाता हैं.
ऐसे पहले भी हुआ है जब कोई नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफतार किया जाते रहे हैं तो उनके पास एक रटारटाया जवाब होता हैं ये गिरफ्तारी राजनीतिक द्वेष की वजह से हैं . ऐसा ही आजकल आप और अन्य पार्टी के भ्रष्ट नेता ऐसी बाते करते सुने जा रहे हैं. परन्तु ऐसा क्यों?
भारत जैसे सजीव लोकतंत्र में भ्रष्ट नेताओं द्वारा चोरी और सीना जोरी के कथित कहावत को अपनाने की होड़ मच गयी हैं . ऐसा क्यों ? जबकि एक आम आदमी देश में आज भी इससे कही छोटे से मसले पर अपना कागज़ दिखाते दिखाते स्वर्गवासी हो जाता है, परन्तु न्याय नहीं मिलता. राजनेता और आम आदमी में फर्क क्यों? .
ये मुझे आज भी समझ में नहीं आ रहा है जब कोई आम आदमी (केजरीवाल नहीं) पर आरोप लगता है तो वो स्वयं को निर्दोष साबित करने में अपनी ज़िन्दगी गवां देता हैं जबकि किसी भ्रष्ट नेता पर आरोप लगता है तो अधिकांश राजनेता किसी प्रकार बच जाते हैं और उनकी निहित स्वार्थों की वजह से देश के लोकतंत्र पर खतरा आ जाता हैं .ऐसा क्यों? ऐसा क्यों हुआ? ऐसा क्यों हो रहा हैं , इससे पूरा देश अचंभित हैं, आश्चर्यचकित है.
*कुमार राकेश, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक,भारत व विश्व के कई देशो के लिए पिछले 34 वर्षो से लेखन व पत्रकारिता में सक्रिय,सम्प्रति GlobalGovernanceNews समूह और समग्र भारत मीडिया समूह के सम्पादकीय अध्यक्ष हैं .
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