अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति को लेकर की गई टिप्पणी पर मांगी माफी, स्मृति ईरानी पर लगाया आरोप

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30जुलाई। कांग्रेस के लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर किए गए अपमानजनक बयान के लिए लिखित माफी मांग ली है। बता दें कि इसके पहले उन्होंने अपने सफाई में कहा था कि उनकी जुबान फिसल गई थी और उन्होंने राष्ट्रपति की जगह राष्ट्रपत्नी का संबोधन किया था। अब किया इसके लिए उन्हें फांसी पर चढ़ा देंगे।
हालांकि अब इस बहान को लेकर उन्होंने माफी मांग ली है। लेकिन माफी मांगने के बाद ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर आरोप लगाते हुए कहा कि ईरानी ने भी सदन में अपने संबोधन के दौरान देश के सर्वोच्च पद पर बैठीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का नाम “मैडम या श्रीमती के बिना” “चिल्ला” रही थीं, उन्होंने भी राष्ट्रपति के “कद को नीचा दिखाने का काम किया है।”

इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है और सदन की कार्यवाही से “जिस तरह से स्मृति ईरानी माननीय राष्ट्रपति को संबोधित कर रही थीं” इसे लेकर उनको हटाने की मांग की है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में चौधरी ने लिखा, “मैं यह भी बताना चाहूंगा कि जिस तरह से श्रीमती स्मृति ईरानी सदन में माननीय राष्ट्रपति महोदया का नाम ले रही थीं, वह उचित नहीं था और जिस तरह से वे माननीय राष्ट्रपति या मैडम या श्रीमती के पहले माननीय राष्ट्रपति या मैडम या श्रीमती के बिना बार-बार ‘द्रौपदी मुर्मू’ चिल्ला रही थीं, यह स्पष्ट रूप से माननीय राष्ट्रपति के पद का अपमान करने के समान है।

अधीर रंजन ने कहा-जुबान फिसल गई, मुझे खेद है
उन्होंने कहा था कि “मुझे यह कहते हुए खेद है कि यह विवाद मेरी ओर से केवल एक जुबान फिसलने के कारण हुआ. यह त्रुटि इसलिए हुई क्योंकि मेरी मातृभाषा बंगाली है और मुझे हिंदी का अच्छा ज्ञान नहीं है. यह वास्तव में बहुत दुखद है कि मैडम राष्ट्रपति जी का नाम लिया जा रहा है. सत्ताधारी दल द्वारा सस्ते प्रचार और राजनीतिक एकता हासिल करने के लिए अनावश्यक रूप से घसीटा गया.”

चौधरी द्वारा लिखे गए एक पत्र में लिखा गया है, “मैं अपनी स्थिति का वर्णन करने के लिए गलती से गलत शब्द का इस्तेमाल करने के लिए खेद व्यक्त कर रहा हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह जुबान से फिसल गया था। मैं माफी मांगता हूं और आपसे इसे स्वीकार करने का अनुरोध करता हूं।”

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