श्रद्धा और आफताब के मामले में दिनों दिन नई बातें सामने आ रही हैं। अब जो बात सामने आई है, वह उस फेमिनिज्म का सच बताने के लिए बहुत बड़ी बात है जो कथित रूप से लड़कियों को आजादी देता है। वह फेमिनिज्म जो लड़कियों के दिमाग में यह भरता है कि लिव इन बेहतर है, और इसके साथ सेक्युलरिज्म जो उन्हें यह बताता है कि मुस्लिम लड़के ही सच्चे आशिक होते हैं।
यह जो सेक्युलर फेमिनिस्ट लड़कियों के दिलों में भर दिया जाता है, उसके चलते वह उस परिवार से अपने तमाम नातों को तोड़कर चली आती हैं, जिस परिवार ने उन्हें इतने वर्षों तक पाला पोसा होता है, उनके नखरे उठाए होते हैं। आखिर ऐसा क्या होता है कि श्रद्धाएँ आफताबों के लात घूंसे खाती रहती हैं। मगर वह मुंह नहीं खोल पाती हैं। इस मामले में जो अब सामने आया है, वह सेक्युलरिज्म के नाम पर सबसे बड़ा धब्बा है।
श्रद्धा ने आफताब के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी और वह भी आज नहीं आज से दो वर्ष पहले! आज से दो वर्ष पहले उसने मुम्बई पुलिस में यह शिकायत दर्ज कराई थी कि वह उसे मारता है और वह उसे मार डालेगा। उसने शिकायत की थी कि वह उसके टुकड़े टुकड़े कर देगा।
MASSIVE EXCLUSIVE ON INDIA NEWS : Jan Ki Baat accesses letter written by Shraddha Walker informing Palghar Police about the brutality faced by her.
' If something happens to me, you know who to go after' – Shraddha writes in her letter. #ShraddhaWalkar #AftabPoonawalla pic.twitter.com/EcCtXBW4cK
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) November 23, 2022
उसने शिकायत में लिखा था कि
“वह मुझे डराता है और ब्लैकमेल करता है कि वह मुझे मार डालेगा, मुझे टुकड़े-टुकड़े करके फेंक देगा। उसके माता-पिता जानते हैं कि वह मुझे पीटता है और उसने मुझे मारने की कोशिश की। वे हमारे साथ रहने के बारे में भी जानते हैं और वे सप्ताहांत में हमसे मिलने आते हैं। मैं आज तक उनके साथ रह रही थी क्योंकि हम जल्द ही किसी भी समय शादी करने वाले थे और आफताब के परिवार का आशीर्वाद है”
अर्थात यह तो तय था कि आफताब के घरवालों को यह सब पहले से पता था। ऐसा इसलिए पता चला है कि श्रद्धा ने अपनी शिकायत में यह लिखा था कि जब शिकायत की गयी तो आफताब के घरवाले उसके घर गए थे और उन्होंने उन दोनों के बीच मध्यस्थता की थी और आम सहमति से सारे विवाद का हल करवा दिया था। इसलिए मैने शिकायत वापस ले ली थी।
रिपब्लिक के अनुसार मुम्बई में तुलिंज पुलिस स्टेशन के इन्स्पेक्टर राजेन्द्र काम्बले ने उन्हें बताया था कि श्रद्धा की शिकायत पर जांच शुरू की गयी थी, मगर बाद में उसने अपनी शिकायत वापस ले ली थी। श्रद्धा ने केवल इतना इतना था कि वह अब जांच नहीं आगे बढ़ाना चाहती है, वह शिकायत वापस ले रही है।
मातापिता को कष्ट देने की आजादी वाली श्रद्धाएँ आफताबों के सामने मजबूर क्यों हो जाती हैं?
अब सबसे बड़ा प्रश्न यही उठता है कि ऐसा क्या कारण है कि जो श्रद्धा इतनी बड़ी क्रांति कर सकती थी कि अपने अभिभावकों से लड़ कर आफताब के पास लिव इन में रहने जा सके, तो उसके भीतर ऐसी क्या कमजोरी थी कि वह आफताब और उसके घरवालों के कारण समझौते में आ गयी?
क्या कारण है कि यह जानते हुए भी कि आफताब उसे मार डालेगा, उसके टुकड़े टुकड़े कर देगा, वह उसके साथ दिल्ली आ गयी? वह क्या कारण है?
हालांकि इस सम्बन्ध में अभी तक मूल कारणों पर बात नहीं हो रही है, जहाँ एक ओर इसे न्यायालय द्वारा भी इन्टरनेट पर सामग्री तक पहुँच के रूप में बताया जा रहा है तो वहीं फेमिनिस्ट पोर्टल्स इसे मात्र ऐसा मामला बता रहे हैं जिसमें एक लिव इन पार्टनर ने अपनी साथी की हत्या कर दी, इसकी तुलना कई और मामलों के साथ की जा रही है।
मुम्बई उच्च न्यायालय के जज ने श्रद्धा की हत्या के मामले को लेकर कहा कि इन दिनों इन्टरनेट पर इतनी सामग्री है कि कोई कुछ भी देख सकता है. हालांकि यह बात भी पूरी तरह से नकारी नहीं जा सकती है कि इन्टरनेट ने कई ऐसी सामग्रियों तक पहुँच सम्भव की है, जिन्हें वास्तव में नहीं पढ़ा जाना चाहिए!
Bombay HC CJ blames Shraddha murder case on 'access to material on internet'
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— ANI Digital (@ani_digital) November 19, 2022
वहीं फेमिनिज्म इन इंडिया जैसे पोर्टल्स लिख रहे हैं कि इन घटनाओं को लव जिहाद का नाम क्यों देना क्योंकि लव जिहाद के दायरे में लाकर भारत में महिलाओं के लिए न्याय का मार्ग बंद कर देते हैं। इस पोर्टल के अनुसार
“यह एक पार्टनर द्वारा किया गया जघन्य अपराध है, जिसे भारत का दक्षिणपंथ एक बकवास लव जिहाद के सिद्धांत के रूप में बता रहा है। महिलाओं की सुरक्षा के स्थान पर एक समुदाय से घृणा फैलाई जा रही है! “
इस पोर्टल को इस बात का अफ़सोस है कि आखिर इस मामले पर बात क्यों हो रही है क्योंकि ऐसा करके इस देश में इस्लामोफोबिया फैलाया जा रहा है। यह लिखता है कि
“एक ऐसे समय में जब राज्य अपने अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहा है, उस समय इस मामले ने देश में इस्लामोफोबिया को बढ़ा दिया है।”
उसके बाद इसमें शब्दों के साथ खेला गया है। इसमें टाइम्स ऑफ इंडिया के एक समाचार का सन्दर्भ देते हुए लिखा है कि विकास वॉकर ने अपनी बेटी श्रद्धा वॉकर विषय में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए लिखा था कि हमने इस निर्णय का विरोध किया था क्योंकि हम हिन्दू हैं और जाति से कोली हैं। लड़का मुस्लिम है और अंतर्धार्मिक सम्बन्ध हमारे “धर्म” में स्वीकार नहीं है!
यहाँ पर यह पढने से यह ऐसा लगता है जैसे श्रद्धा के पिता ने इस शादी के लिए मना किया था। जबकि सत्य यह है कि श्रद्धा के अभिभावक रिश्ता लेकर गए थे और यह आफताब के घरवाले थे जिन्होनें उन्हें अपमानित करने निकाला था और उन्हें सब पता था कि उनका बेटा श्रद्धा के साथ क्या कर रहा है! इतना ही नहीं टाइम्स ऑफ इंडिया के समाचार में विकास वॉकर ने धर्म का नाम नहीं लिया है। और श्रद्धा के घरवालों ने शादी का विरोध नहीं किया था, बल्कि लिवइन का विरोध किया था, जो कि हर परिवार करेगा! उन्होंने लिखा है कि
हमने इस निर्णय का विरोध किया था क्योंकि हम हिन्दू हैं और जाति से कोली हैं। लड़का मुस्लिम है और अंतर्धार्मिक सम्बन्ध हमारे “परिवार” में स्वीकार नहीं है!
और अब धीरे धीरे यह बातें सामने निकलकर आ रही हैं कि कैसे परिवार को अपने बेटे के हर कुकर्म के विषय में पता था और कैसे आफताब ने बहुत ही शातिर तरीके से श्रद्धा को मारा और उसके बाद उसकी लाश के तसल्ली से टुकड़े किए!
फेमिनिज्म इन इंडिया को इस बात का दुःख है कि इस मामले पर बात क्यों हो रही है क्योंकि इससे इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है! अब इनसे पूछा जाए कि क्या हिन्दू लड़कियों की मृत्यु को इसलिए नहीं उठाना चाहिए कि क्योंकि उसे किसी मुस्लिम ने मारा है और इसके चलते इस्लामोफोबिया न फ़ैल जाए? छोटी छोटी बातों पर हिन्दुओं को कोसने वाले यह पोर्टल कभी नहीं कहते कि इनकी हरकतों से हिन्दुओं के प्रति पूरे विश्व में द्वेष बढ़ रहा है! यह लोग हिन्दुओं को उन बातों के लिए बदनाम करने का अपना एजेंडा निर्बाध रूप से चलाते रहते हैं, जिसके लिए हिन्दू दोषी हैं ही नहीं!
जैसे श्रद्धा के मामले में उसके पिता के इस विरोध कि उनकी बेटी लिव इन में रहने जाए, को ऐसा दिखाया जा रहा है कि जैसे श्रद्धा के पिता ने “इस रिश्ते” या शादी का विरोध किया हो!
यही झूठ और हिन्दू विरोध फेमिनिज्म है, जो हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों के पास लिव इन में तो भेजता ही है, बल्कि साथ ही उनकी ह्त्या पर विमर्श को भी सीमित करता है!
साभार- https://hindupost.in/
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