समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 अगस्त: दिल्ली की राजनीति में बुधवार का दिन बेहद तनावपूर्ण रहा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर जन सुनवाई कार्यक्रम के दौरान हुए हमले के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा को और मजबूत करने का फैसला किया है। अब उनकी सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) संभालेगी। उन्हें Z श्रेणी सुरक्षा प्रदान की गई है।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस से सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही यह व्यवस्था पूरी तरह लागू हो जाएगी।
कैसी होगी सुरक्षा व्यवस्था?
नई व्यवस्था के तहत, दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री आवास की बाहरी सुरक्षा का प्रबंधन जारी रखेगी, जबकि सीआरपीएफ उनकी व्यक्तिगत और क्षेत्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगी। अधिकारियों ने बताया कि रेखा गुप्ता की 24 घंटे सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष तैनाती की जा रही है।
गौरतलब है कि सीआरपीएफ पहले से ही कई शीर्ष नेताओं को सुरक्षा प्रदान करती है, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गांधी परिवार और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं, जिन्हें Z या Z+ श्रेणी सुरक्षा दी गई है।
हमले की जांच और आरपी की गिरफ्तारी
बुधवार सुबह सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय में जन सुनवाई के दौरान अचानक हमला हुआ। घटना में मुख्यमंत्री को हाथ, कंधे और सिर में चोटें आईं।
मुख्यमंत्री ने इस हमले को “उनकी हत्या की सुनियोजित साजिश” करार दिया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राजकोट (गुजरात) के 41 वर्षीय आरोपी राजेश भाई खिमजी भाई सकरिया को गिरफ्तार किया।
जांच के बाद आरोपी के खिलाफ हत्या के प्रयास (IPC 307) का मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है ताकि हमले की पृष्ठभूमि और संभावित साजिश का पता लगाया जा सके।
राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रिया
हमले के बाद दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई है। लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री पर हमला बेहद गंभीर है और इससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं।
वहीं, विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में चूक करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और राजधानी में सुरक्षा प्रबंधन को मजबूत किया जाए।
हमले के बाद सुरक्षा बढ़ाना भले ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के लिए राहत की बात हो, लेकिन इस घटना ने दिल्ली की कानून-व्यवस्था और नेताओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र भी बन सकता है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.