पंजाब के बाद यूपी में भी धर्मांतरण का विस्फोट! पीलीभीत में 3000 सिखों को बनाया ईसाई, नेपाल से आते हैं ‘धर्म के सौदागर’
जीजी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली,21 मई । धर्म परिवर्तन का जो खेल अब तक पंजाब तक सीमित माना जाता था, वह अब उत्तर प्रदेश के गांवों तक गूंजने लगा है! पीलीभीत ज़िले से आई एक रिपोर्ट ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। दावा किया गया है कि अब तक 3000 से ज्यादा सिख परिवारों का ईसाई धर्म में ‘गुप्त’ रूप से धर्मांतरण कराया जा चुका है, और इस पूरे मिशन की कमान संभाली है नेपाल से आने वाले ‘पास्टरों’ ने।
पीलीभीत के कई गांवों—विशेषकर जिनमें सिख आबादी अधिक है—वहां गुपचुप तरीके से धर्मांतरण की लहर फैल रही है। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ ‘संस्थाएं’ महीनों से सक्रिय हैं, जो बीमारियों से मुक्ति, आर्थिक मदद, बच्चों की पढ़ाई और चमत्कारों के नाम पर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
नाम बदलिए, धर्म पाइए!
लोगों को कथित रूप से समझाया जाता है कि “गुरु नहीं, यीशु मसीह ही तुम्हें मुक्ति देंगे”। कुछ जगहों पर गुपचुप बपतिस्मा (धार्मिक अनुष्ठान) भी किए गए हैं।
इस धर्मांतरण अभियान में नेपाल से आने वाले पास्टरों की भूमिका भी उजागर हुई है। सूत्र बताते हैं कि इन लोगों को गांव-गांव में बुलाया जाता है। वहां प्रार्थनाएं करवाई जाती हैं, और फिर ‘बीमारियों से चमत्कारिक इलाज’ के नाम पर लोगों को धर्म बदलने के लिए ‘मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार’ किया जाता है।
नेपाली पास्टरों के पास विदेशी फंडिंग?
स्थानीय प्रशासन अभी चुप्पी साधे बैठा है, लेकिन लोगों का दावा है कि इस अभियान को विदेशी एनजीओ और चर्च संगठनों से आर्थिक सहयोग मिल रहा है।
स्थानीय गुरुद्वारों और सिख संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। अकाल तख्त से लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति तक ने इस मामले पर नाराज़गी जताई है और केंद्र सरकार से तत्काल जांच की मांग की है।
पूरे मामले पर अब तक न तो पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है, न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने मौखिक या लिखित जवाब दिया है। यह चौंकाने वाला मौन कई सवाल खड़े कर रहा है—क्या प्रशासन को जानकारी है लेकिन वह दबाव में है? या फिर आंखें मूंद ली गई हैं?
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क्या सिखों को टारगेट बनाकर संगठित धर्मांतरण अभियान चलाया जा रहा है?
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नेपाल से आने वाले पास्टरों की एंट्री कैसे हो रही है?
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क्या यह यूपी को धार्मिक रूप से अस्थिर करने की गहरी साजिश है?
पीलीभीत की यह रिपोर्ट महज एक जिले की कहानी नहीं, यह उत्तर भारत में धर्मांतरण के बदलते स्वरूप की दस्तक है। जब तक प्रशासन और सरकार ठोस कार्रवाई नहीं करते, यह ‘खामोश क्रांति’ एक दिन विस्फोट बन सकती है।
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