अहमदाबाद विमान हादसा: मृतकों की संख्या 270 पहुंची, जांच में जुटी एजेंसियां, देशभर में शोक की लहर

समग्र समाचार सेवा
अहमदाबाद, 14 जून: गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में 12 जून को हुए भयावह एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 विमान हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 270 हो गई है। हादसे के बाद से अब तक सिविल अस्पताल में 270 शव लाए जा चुके हैं। देशभर में इस त्रासदी को लेकर गहरा शोक व्याप्त है, वहीं केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मुआवजा और जांच की प्रक्रिया को प्राथमिकता पर रखा गया है।

शवों की पहचान बना सबसे बड़ी चुनौती

अहमदाबाद सिविल अस्पताल में DNA सैंपलिंग और पोस्टमॉर्टम का कार्य जारी है। अभी तक 230 मृतकों के DNA सैंपल लिए जा चुके हैं, लेकिन 8 शवों की ही पहचान हो पाई है। अधिकांश शव आग में इस कदर झुलस गए हैं कि उनकी पहचान संभव नहीं हो पा रही है। परिजनों की भीड़ सिविल अस्पताल के बाहर जुटी हुई है, जबकि अस्पताल परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

सियासी प्रतिक्रिया और शोक संदेश

केंद्र सरकार के कई मंत्री और विपक्षी नेताओं ने हादसे को राष्ट्रीय त्रासदी बताते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की है।

  • केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “जांच गंभीरता से हो रही है, और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।”
  • प्रताप राव जाधव, गजेंद्र सिंह शेखावत, और अन्य नेताओं ने कहा कि “पूरा देश इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ है।”
  • शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ तकनीकी खराबी मानना उचित नहीं होगा, अंतरराष्ट्रीय साइबर हमले की भी जांच होनी चाहिए।
  • शाइना एन.सी. ने कहा कि जांच के लिए गठित समिति में सभी जरूरी संस्थाओं के विशेषज्ञ शामिल हैं और रिपोर्ट तीन महीने में प्रस्तुत की जाएगी।

डीएनए सैंपलिंग और फोरेंसिक जांच को मिल रही प्राथमिकता

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि फोरेंसिक साइंस प्रयोगशाला और राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की मदद से DNA मिलान की प्रक्रिया तेज की जा रही है। केंद्र सरकार ने भी विशेषज्ञ टीमों को भेजा है।

ब्लैक बॉक्स बरामद, जांच एजेंसियों की सक्रियता बढ़ी

हादसे की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय बहु-विषयक समिति ने काम शुरू कर दिया है। इस समिति में गृह सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय वायु सेना, DGCA, और विमानन विशेषज्ञ शामिल हैं।
इस समिति को SOP की समीक्षा और भविष्य के लिए सिफारिशें देने का जिम्मा सौंपा गया है। ब्लैक बॉक्स मिलने से जांच में सहायता मिलने की उम्मीद है।

प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी हादसे की भयावहता

मोहन बहादुर क्षत्रिय और रेखा क्षत्रिय जैसे प्रत्यक्षदर्शियों ने हादसे को बम विस्फोट या भूकंप जैसी घटना बताया। उन्होंने कहा कि चारों तरफ आग की लपटें थीं, धुआं फैला था और चीख-पुकार मची थी।

दुखद कहानियां: बेटी का अधूरा कॉल और टूटे परिवार

  • ब्रिटिश नागरिक रमेश पटेल की बेटी प्रीति ने बताया कि उनके पिता केवल 9 दिनों के लिए भारत आए थे और उनसे आखिरी बार बात न कर पाने का उन्हें अफसोस रहेगा।
  • महादेव पवार और आशा एम पवार, जो 241 यात्रियों में शामिल थे, के बेटे रमेश ने बताया कि वे एयरपोर्ट तक उन्हें छोड़कर आए थे और उसके बाद हादसे की सूचना मिली।

प्रोफेसर की जुबानी सह-पायलट की यादें

सह-पायलट क्लाइव कुंदर के प्रोफेसर उर्वशी ने उन्हें “अनुशासित, बुद्धिमान और समयनिष्ठ छात्र” बताया। यह यादें हादसे के मानवीय पहलू को उजागर करती हैं।

पुराने विमान हादसों की याद ताजा

1993 के औरंगाबाद विमान हादसे में बचे वसंत चव्हाण ने इस हादसे को याद करते हुए कहा कि कॉकपिट के पास बैठे होने के कारण उनकी जान बच गई थी। अहमदाबाद हादसे ने उन्हें वह भयावह अनुभव फिर से याद दिला दिया।

टाटा ग्रुप की संवेदनशीलता और मुआवजा नीति

टाटा ग्रुप ने हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। इसके अलावा विमान बीमा कंपनियों से 1.5 करोड़ रुपये तक का मुआवजा भी मिलने की संभावना है।

राष्ट्रीय सुरक्षा, जवाबदेही और संवेदना की परीक्षा

अहमदाबाद विमान हादसा सिर्फ एक तकनीकी दुर्घटना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, विमानन व्यवस्था की जवाबदेही, और संवेदना की परीक्षा है। देशभर की निगाहें अब जांच रिपोर्ट और पुनः सुरक्षा मानकों की समीक्षा पर टिकी हैं। इस त्रासदी से निकले सबक भविष्य की उड़ानों को सुरक्षित बना सकते हैं।

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