अखिलेश यादव का योगी आदित्यनाथ पर हमला: “हवाई सर्वेक्षण नहीं, किसानों के गुस्से का सामना करें मुख्यमंत्री”
समग्र समाचार सेवा,
लखनऊ, 9 जून: उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश और आवारा पशुओं से परेशान किसानों के मुद्दे को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री में जमीन पर उतरकर किसानों के आक्रोश का सामना करने का साहस नहीं है।
मक्का की फसल का हवाई सर्वेक्षण बना विवाद का विषय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कन्नौज समेत छह जिलों में मक्का की फसलों का हवाई सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण को लेकर अखिलेश यादव ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से तंज कसते हुए लिखा:
“खेती-किसानी के लिए जो लोग हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं, दरअसल उनके पास समय की कमी नहीं, बल्कि उस ‘साहस’ की कमी है जो जमीन पर किसानों के रोष-आक्रोश का साक्षात सामना कर सकें।”
आवारा पशुओं की समस्या पर सवाल
अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में प्रदेश में बढ़ती छुट्टा पशुओं (आवारा जानवरों) की समस्या का भी उल्लेख किया। उन्होंने सवाल किया कि:
“किसान पूछ रहे हैं, इतनी ऊंचाई से नीचे छुट्टा पशु दिखाई देते हैं क्या?”
यह टिप्पणी उस वक्त आई है जब प्रदेश भर के किसान फसलों को नुकसान पहुंचा रहे आवारा पशुओं से बेहद परेशान हैं और इस संबंध में सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं।
अखबार की कतरन साझा कर जताया विरोध
सपा प्रमुख ने अपने पोस्ट के साथ एक अखबार की कतरन भी साझा की, जिसमें मुख्यमंत्री योगी द्वारा किए गए हवाई सर्वेक्षण की जानकारी दी गई थी। इस कतरन में बताया गया था कि योगी आदित्यनाथ ने कन्नौज सहित छह जिलों में मक्का की फसल का हेलिकॉप्टर से निरीक्षण किया।
किसानों की बढ़ती शिकायतें और सरकार की चुनौतियां
प्रदेश में इन दिनों बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और पशु संकट के चलते किसानों की फसलें भारी नुकसान की शिकार हो रही हैं। किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार का राहत कार्य मौके पर पहुंचने के बजाय कागज़ों में सीमित है।
सरकार के अनुसार, हवाई सर्वेक्षण का उद्देश्य तेजी से नुकसान का आंकलन कर राहत पैकेज तैयार करना है। लेकिन विपक्ष इसे प्रभावहीन और जनसंपर्क मात्र बता रहा है।
राजनीतिक गर्मी और चुनावी संकेत
अखिलेश यादव की यह टिप्पणी केवल प्रशासनिक मुद्दे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की रणनीति का भी संकेत मानी जा रही है। किसान वर्ग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, उत्तर प्रदेश की राजनीति का अहम वोटबैंक रहा है और इस तरह के मुद्दों पर सियासी रुख भी तेज हो रहा है।
बेमौसम बारिश और आवारा पशुओं से त्रस्त किसानों की समस्या पर अब सियासत खुलकर सामने आ गई है। अखिलेश यादव का तंज और योगी सरकार की नीति — दोनों आने वाले दिनों में और तीखा रूप ले सकते हैं। अब देखना होगा कि सरकार इन आलोचनाओं का जवाब किस प्रकार देती है और क्या वास्तव में किसानों को जमीनी राहत मिल पाती है या नहीं।
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