21 अप्रैल, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुशासन नीति विपक्षी दलों को बेचैन कर रही है। इसी बेचैनी की एक झलक रविवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखने को मिली, जहां उन्होंने बिना किसी ठोस आधार के भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा।
भाजपा लगातार अपने सेवा, सुशासन और विकास के एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। हाल के चुनावों और जन समर्थन ने यह साफ कर दिया है कि जनता का भरोसा योगी आदित्यनाथ की स्पष्ट, ईमानदार और कठोर निर्णय लेने वाली नेतृत्व शैली पर है। ऐसे में विपक्ष के पास मुद्दों की कमी साफ दिखाई दे रही है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने कहा कि अगर भाजपा 400 सीटें जीत जाती तो “सड़कों पर राइफलें और तलवारें लहरा रही होतीं”। यह बयान न केवल भ्रामक है बल्कि राजनीतिक परिपक्वता की कमी भी दर्शाता है। दरअसल, यह बयान उस बौखलाहट का प्रतीक है जो विपक्ष को जनता के बीच अपने सिकुड़ते प्रभाव के कारण महसूस हो रही है। अखिलेश यादव ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ को लेकर सरकार पर आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया। जबकि वास्तविकता यह है कि योगी सरकार ने कुंभ जैसे विश्वस्तरीय आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराया था और किसी भी प्रकार की घटना की जानकारी पारदर्शिता के साथ साझा की गई थी।
यही पर अखिलेश यादव नहीं रुके उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहनावे और छवि पर भी टिप्पणी की। लेकिन यह बताना ज़रूरी है कि योगी जी की छवि एक कर्मयोगी और राष्ट्रसेवक के रूप में है, जिनकी भाषा और निर्णय हमेशा जनहित में रहे हैं। व्यक्तिगत टिप्पणियों से समाजवादी पार्टी की सोच और दृष्टिकोण का स्तर समझा जा सकता है।
जब नेतृत्व अपने कार्यों और नीतियों से जनता का विश्वास जीत चुका होता है, तब विरोधी सिर्फ शब्दों का सहारा लेते हैं। अखिलेश यादव की हालिया बयानबाजी साफ तौर पर दर्शाती है कि विपक्ष के पास न तो मुद्दे हैं, न दिशा। भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जनहित में काम बोलता है, और यही बात विपक्षी खेमे में बेचैनी की असली वजह है।”
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