अलापन बंधोपाध्याय की कम नही हो रही मुश्किलें, ममता के आरोंपों को खारिज कर केंद्र ने बताया पूर्व मुख्य सचिव पर एक्शन कारण
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2जून। यास चक्रवात भले ही थम गया हो, मगर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक में ममता बनर्जी के साथ आधे घंटे की देरी से पहुंचने की वजह से अलापन बंधोपाध्याय को लेकर माहौल अभी गरम ही है। जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को तलब करने के अपने कदम का बचाव किया और उनके ट्रांसफर के आदेश को ‘संवैधानिक’ बताया।
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बताया है कि यह आदेश पूरी तरह से संवैधानिक है क्योंकि मुख्य सचिव एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी होते हैं। उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की उपेक्षा की, जिसके परिणामस्वरूप वह प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं पेश हुए और न ही पश्चिम बंगाल सरकार का कोई भी अधिकारी प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में शामिल हुआ।
यास तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल न होने वाले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली तलब किया गया था और उन्हें सोमवार सुबह 10 बजे नार्थ ब्लॉक में डिपार्टमेंट ऑफ पर्नसल एंड ट्रेनिंग को रिपोर्ट करना था, मगर वे नहीं आए। उसके अगले दिन ही उन्होंने अपने पद से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी और वे बंगाल सरकार के मुख्य सलाहकार बन गए।
सूत्रों ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री से तीन महीने के लिए मुख्य सचिव के विस्तार की पुष्टि करने का अनुरोध करने से लेकर अब उन्हें सेवानिवृत्त करने तक ममता बनर्जी ने कुछ ही घंटों में एक बड़ा यू-टर्न ले लिया है। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने पूर्व मुख्य सचिव के बारे में केंद्र के कदम को एकतरफा आदेश कहा था और तर्क दिया कि यह आदेश कानूनी रूप से “अस्थिर, अभूतपूर्व, असंवैधानिक” है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के साथ बिना परामर्श के यह फैसला लिया गया।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने बंद्योपाध्याय को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को रिपोर्ट नहीं करने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। ममता ने पूर्व मुख्य सचिव को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ट्रांसफर करने के केंद्र सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाए क्योंकि उन्हें हाल ही में तीन महीने का विस्तार मिला था।
सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत सरकार ने मुख्य सचिव की सेवा का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की थी, यह दर्शाता है कि केंद्र पश्चिम बंगाल के साथ पूर्ण सहयोग और द्वेष के बिना काम कर रहा है। सरकारी सूत्रों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लगाए गए अन्य आरोपों का भी खंडन किया कि उन्हें समय पर प्रधानमंत्री मोदी की बैठक के बारे में सूचित नहीं किया गया था। यहां इस बात का भी दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी को बैठक से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी, जैसा कि उन्होंने दावा किया था।
ममता बनर्जी बैठक में शामिल होने के लिए सहमत हो गई थीं। हालांकि, यह जानने के बाद कि विपक्ष के नेता (एलओपी) बैठक का हिस्सा बनने जा रहे थे, उन्होंने अपना विचार बदल दिया, जिसका उन्होंने अपने पत्र में भी उल्लेख किया है। इसलिए यह स्पष्ट है कि उनका पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम कोई मुद्दा नहीं था। इसकी पुष्टि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी की थी, जिन्होंने ट्वीट किया था कि ममता ने उनसे कहा था कि अगर विपक्ष के नेता बैठक में शामिल होते हैं तो वह बैठक का बहिष्कार करेंगी।
Comments are closed.