खतरे की घंटी… मणिपुर में घुसपैठिए कर रहे एलोन मस्क के सैटेलाइट इंटरनेट ‘Starlink’ का इस्तेमाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,18 दिसंबर।
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में सुरक्षा बलों के लिए एक नई चुनौती सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मणिपुर में सक्रिय कुछ घुसपैठिए और आतंकवादी समूह एलोन मस्क के द्वारा विकसित किए गए सैटेलाइट इंटरनेट ‘Starlink’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह स्थिति भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का कारण बन चुकी है, क्योंकि ‘Starlink’ की तकनीकी विशेषताएँ और इसकी वैश्विक पहुंच से मणिपुर जैसे सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादियों और अन्य घुसपैठियों को रणनीतिक लाभ मिल सकता है।

क्या है Starlink और क्यों हो रहा है इसका इस्तेमाल?

‘Starlink’ एलोन मस्क की कंपनी SpaceX द्वारा विकसित एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, जो पृथ्वी की कक्षा में मौजूद हजारों सैटेलाइट्स के माध्यम से हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराती है। यह सेवा खासतौर पर उन इलाकों में उपयोगी है, जहाँ पारंपरिक इंटरनेट कनेक्शन पहुंच से बाहर होते हैं, जैसे कि पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्र।

मणिपुर, जो भारत-Myanmar सीमा के पास स्थित है, को आतंकवादी गतिविधियों और घुसपैठ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ‘Starlink’ जैसी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा इन समूहों को अपने ऑपरेशन्स को बिना किसी बाधा के चलाने में मदद कर सकती है। यह इंटरनेट सेवा स्थानीय नेटवर्क से स्वतंत्र होकर सीधे सैटेलाइट के माध्यम से कार्य करती है, जिससे किसी भी प्रकार के जमीनी ब्लॉकिंग और निगरानी को दरकिनार किया जा सकता है।

मणिपुर में बढ़ते खतरे

मणिपुर में सक्रिय कई आतंकवादी समूह और अलगाववादी संगठन जो कश्मीर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में संघर्षों को बढ़ावा देते हैं, अब ‘Starlink’ का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके जरिए वे अपने ऑपरेशन्स, संचार और योजना बनाने में सक्षम हो रहे हैं, जिससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनकी निगरानी करना और भी कठिन हो गया है।

इन घुसपैठियों द्वारा Starlink का इस्तेमाल मणिपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा खामियों को उजागर करता है। खासकर, जब यह इंटरनेट सेवा बिना किसी स्थानीय नेटवर्क के उपलब्ध हो, तो इन संगठनों के लिए अपनी गतिविधियों को गोपनीय रखना और भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों से छिपे रहना आसान हो जाता है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती

भारतीय सुरक्षा बलों के लिए यह एक नई तकनीकी चुनौती है। ‘Starlink’ जैसी सेवा को लेकर भारत सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। इस सेवा को भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध करने के बावजूद, इसकी निगरानी और नियंत्रण को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को कठिनाई हो रही है। यदि ऐसे सैटेलाइट इंटरनेट का उपयोग आतंकवादी और घुसपैठिए अपनी गतिविधियों के लिए करते हैं, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के सैटेलाइट नेटवर्क्स का उपयोग सुरक्षा उपायों को कमजोर कर सकता है। भारतीय सुरक्षा बलों को ‘Starlink’ के उपयोग पर कड़ी निगरानी और नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, ताकि इसका गलत उपयोग न हो।

भारतीय सरकार का कदम

भारत सरकार को इस मामले में त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं का उपयोग सिर्फ सामान्य नागरिकों के लिए हो और इसका दुरुपयोग सीमावर्ती इलाकों में किसी भी अवांछनीय गतिविधि के लिए न हो। इसके लिए सैटेलाइट इंटरनेट की सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ संवाद और उनके ऑपरेशंस की निगरानी करने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।

भारत में स्टारलिंक जैसी सेवाओं के प्रयोग की अनुमति देने से पहले, एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार की जानी चाहिए, ताकि ऐसे इंटरनेट नेटवर्क के दुरुपयोग को रोका जा सके। साथ ही, भारतीय सेना और सुरक्षा बलों को इस प्रकार के खतरे से निपटने के लिए नई तकनीकों और नीतियों के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

मणिपुर में ‘Starlink’ का उपयोग करने वाले घुसपैठियों और आतंकवादियों की गतिविधियाँ भारतीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी हैं। यह घटना इस बात का संकेत देती है कि आधुनिक तकनीकी उपकरणों का उपयोग सुरक्षा के दृष्टिकोण से नई चुनौतियाँ पेश कर सकता है। भारत सरकार और सुरक्षा बलों को इस चुनौती से निपटने के लिए सटीक कदम उठाने होंगे, ताकि ऐसे खतरों से निपटने के लिए तकनीकी उपायों को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके और देश की सुरक्षा को बनाए रखा जा सके।

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