अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की यूजीसी अध्यक्ष से भेंट: नियुक्ति और पदोन्नति के प्रावधानों में बदलाव की मांग

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जनवरी।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार और सचिव प्रो. मनीष जोशी से मुलाकात की। इस दौरान महासंघ ने ड्राफ्ट रेगुलेशन 2025 में मौजूद विसंगतियों और शिक्षकों की नियुक्ति व पदोन्नति से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।

कुलपति पद पर ब्यूरोक्रेट और उद्योगपतियों की नियुक्ति का विरोध

महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि बैठक लगभग दो घंटे चली, जिसमें शिक्षकों की जमीनी समस्याओं को यूजीसी के समक्ष रखा गया। महासंघ ने कुलपति पद के लिए ब्यूरोक्रेट और उद्योगपतियों को पात्र मानने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की।

नियुक्ति और पदोन्नति के प्रावधानों में बदलाव की मांग

महासंघ ने कैरियर एडवांसमेंट योजना (CAS) में पीएचडी की अनिवार्यता को केवल एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों तक सीमित रखने की सिफारिश की। इसके अलावा, निम्नलिखित मुद्दों पर भी चर्चा की गई:

  • नॉटेबल कंट्रीब्यूशन के मानदंडों को व्यवहारिक बनाया जाए।
  • एकेडमिक लेवल 15 के प्रमोशन का लाभ महाविद्यालय शिक्षकों को भी दिया जाए।
  • 10% की सीमा को हटाने की मांग।
  • आठवें वेतन आयोग से पहले सेवा शर्तों में बदलाव पर आपत्ति।

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर

महासंघ की राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय भाषाओं में अध्ययन, अध्यापन और शोध पत्र प्रकाशन को प्रमोशन और नियुक्ति में प्राथमिकता देने की मांग की। इसके अतिरिक्त:

  • पीएचडी के लिए सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान करने की मांग।
  • सीएएस पदोन्नति का लाभ पात्रता तिथि से देने का आग्रह।
  • प्राचार्य पद की नियुक्ति को सेवानिवृत्ति तक सुनिश्चित करने की मांग।
  • पूर्व सेवा लाभ की विसंगतियों को दूर करने पर जोर।
  • संविदा पर स्वीकृत शैक्षणिक पदों की संख्या 20% से अधिक न हो।

यूजीसी नियमों के पारदर्शी क्रियान्वयन की सिफारिश

प्रो. भट्ट ने बताया कि महासंघ ने यूजीसी रेगुलेशन के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण के लिए लोकपाल की नियुक्ति करने की सिफारिश की। साथ ही, निम्नलिखित सुझाव भी दिए गए:

  • शिक्षकों का कार्यभार परिभाषित किया जाए और शिक्षण संस्थानों में प्रति दिवस स्टे अवधि 5 घंटे निर्धारित हो।
  • रिफ्रेशर व ओरिएंटेशन कोर्स ऑफलाइन भी आयोजित किए जाएं और शिक्षक को “ऑन ड्यूटी” माना जाए।
  • सीएएस पदोन्नति में नेट और पीएचडी के बीच भेदभाव न किया जाए।
  • नियुक्ति के लिए शॉर्टलिस्टिंग के स्पष्ट मानदंड बनाए जाएं।
  • पदोन्नति के लिए पुराने रेगुलेशन के विकल्प को न्यूनतम 5 वर्ष तक लागू रखा जाए।

यूजीसी अध्यक्ष और सचिव का आश्वासन

यूजीसी अध्यक्ष प्रो. जगदीश कुमार और सचिव प्रो. मनीष जोशी ने महासंघ की सभी मांगों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि सभी मुद्दों पर उचित विचार कर निर्णय लिया जाएगा।

इस प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष एवं महामंत्री के अलावा राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, सह संगठन मंत्री जी. लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार, उपाध्यक्ष प्रो. शैलेश कुमार मिश्रा, अतिरिक्त महामंत्री प्रो. अरबिंदो महतो, सचिव प्रो. प्रदीप खेड़कर और सह सचिव प्रो. जसपाल वरवाल शामिल थे।

निष्कर्ष

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की यह बैठक शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति को अधिक व्यवहारिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महासंघ की सिफारिशों पर यूजीसी द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों से देश के शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

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