सुप्रीम कोर्ट के सभी जज घोषित करेंगे अपनी संपत्ति, CJI समेत 30 जजों ने SC की वेबसाइट पर डाली डिटेल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,3 अप्रैल।
पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा करने का फैसला किया है। इस पहल के तहत, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) समेत 30 जजों ने अपनी संपत्ति का विवरण सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा अपनी संपत्ति का खुलासा करना न्यायपालिका में पारदर्शिता को मजबूत करने की एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है। यह कदम न्यायपालिका में जनता का विश्वास बढ़ाने और यह दिखाने का प्रयास है कि न्यायिक प्रणाली भी जवाबदेही के सिद्धांतों का पालन करती है।

न्यायपालिका की संपत्ति सार्वजनिक करने का मुद्दा पहले भी कई बार चर्चा में आ चुका है। इस संबंध में कई कानूनी विशेषज्ञ और नागरिक संगठनों ने लंबे समय से मांग की थी कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश भी अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे अधिकारियों की तरह अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करें।

मुख्य न्यायाधीश समेत कुल 30 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति और देनदारियों का ब्योरा वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है। इससे आम जनता को यह जानने का अधिकार मिलेगा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की वित्तीय स्थिति कैसी है और क्या वे किसी वित्तीय दबाव या बाहरी प्रभाव में आ सकते हैं।

न्यायपालिका की पारदर्शिता को लेकर इस कदम की सराहना की जा रही है। कई कानूनी जानकारों का मानना है कि यह एक सकारात्मक पहल है, जिससे न्यायपालिका की निष्पक्षता को और मजबूती मिलेगी। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केवल संपत्ति का खुलासा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे नियमित रूप से अपडेट करना भी जरूरी होगा ताकि यह प्रक्रिया महज औपचारिकता न बन जाए।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, अब नजर इस बात पर होगी कि क्या उच्च न्यायपालिका के अन्य स्तरों, जैसे हाईकोर्ट और निचली अदालतों के जज भी इसी तर्ज पर अपनी संपत्ति घोषित करेंगे। यदि ऐसा होता है, तो यह न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा का यह कदम भारतीय न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। यह न केवल जनता का विश्वास मजबूत करेगा, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में भी सहायक होगा। अब देखना यह होगा कि क्या यह पहल अन्य न्यायिक संस्थानों और सरकारी अधिकारियों के लिए भी एक मिसाल बनेगी।

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