इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस से उ0 प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम को 2.66 करोड़ रुपये देने का दिया निर्देश

समग्र समाचार सेवा
लऱनऊ, 10अक्टूबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को 2.66 करोड़ रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने 1981 और 1989 के बीच UPSRTC के बसों और टैक्सियों का उपयोग करने के लिए कांग्रेस को तीन महीने के भीतर भुगतान करने को कहा है. जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनीष कुमार की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि राशि का भुगतान देय तिथि से 5 प्रतिशत ब्याज के साथ किया जाना चाहिए.

हाईकोर्ट ने आदेश दिया,“केवल ये कहकर कि राजनीतिक प्रतिशोध के कारण राशि गलत तरीके से वसूल की जा रही है या यह तकनीकी आधार लेते हुए कि राशि को भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल नहीं किया जा सकता है, उसे अपने बिलों का भुगतान करने के दायित्व से बचने की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती है.”

कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस की राजनीतिक रैलियों और अन्य गतिविधियों के लिए यूपीएसआरटीसी द्वारा वाहन उपलब्ध कराए गए थे. हालांकि कांग्रेस ने शुरू में इस मामले को सुलझाने में रुचि दिखाई थी, लेकिन समय बीतने के साथ उसने “अपना रुख पूरी तरह से बदल दिया और अब केवल तकनीकी पहलुओं पर दलीलें पेश कर रही है.

क्या है पूरा मामला?
बकाया बिलों में से एक 1984 में दिवंगत प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों को ले जाने के लिए किराए पर लिए गए वाहनों से भी संबंधित था. राज्य ने 1998 में यूपी पब्लिक मनी (बकाया वसूली) अधिनियम, 1972 के तहत कांग्रेस के खिलाफ वसूली कार्यवाही शुरू की थी. नवंबर 1998 में अदालत ने वसूली कार्यवाही पर रोक लगा दी और मामला पिछले 25 वर्षों से लंबित रहा.

अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी रहते हुए कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए सुविधाओं का लाभ उठाया और कभी-कभी तत्कालीन मुख्यमंत्री या संबंधित मंत्री के निर्देश पर वाहनों की खरीद की गई. दो मौकों पर कांग्रेस ने कुछ पैसों का भुगतान किया था. हालांकि शेष बिल लंबित है.

कांग्रेस का कहना है कि बिल मनगढ़ंत और झूठे थे. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि लेनदेन की प्राप्तियों से इनकार नहीं किया गया था. रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चले कि राज्य सरकार ने बकाया भुगतान के लिए कोई निर्णय लिया है. सार्वजनिक संपत्ति का उपयोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया था. अदालत ने कहा कि कांग्रेस बकाया राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य है.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कांग्रेस को तीन महीने के भीतर ब्याज सहित बकाया भुगतान करने का आदेश दिया.

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