अटल जी ने कहा था –मै जी भर जिया,मै मन से मरू.लौटकर आऊंगा,कूच से क्यों डरूं?
अटल स्मृति! 16 अगस्त 2018,आज 2019.एक साल हो गए.कैसे बीत गए वे दिन,पता ही नहीं चला.
अटल जी को जितना याद करो,उससे ज्यादा याद आतें हैं और आते रहेंगे.जी हाँ,अटल जी,अपने अटल जी.आपके ,हमारे ,हम सबके अटल जी.देश के अटल जी,विश्व के अटल जी!
अटल हर हाल में अटल.चलते-फिरते.मिलते-जुलते.हँसते-खिलखिलाते.कविता सुनते-सुनाते.कहते-सुनते,कभी सुनते तो कभी खूब सुनाते.कहानियां भी तो कवितायेँ भी.खबरे भी,खबरियां भी.जो ढूंढे,वही मिलेगा,अटल जी के व्यक्तित्व में.जाको रही भावना जैसी ..यानी कि मिलता था.सच में -सत-चित-आनंद का अद्भुत संगम.नेता ,राजनेता,लेखक,पत्रकार,सम्पादक,वैदेशिक मामलों का ज्ञाता के अलावा इस धरा पर मौजूद सभी गुणों के गुणात्मक खजांची अटल जी एक सच्चे,जिंदादिल इंसान थे.
एक सफल प्रधानमंत्री और देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए गठबंधन सरकार का फार्मूला निर्माता विश्व का एक महान राजनेता भी.
न भूतो ,न भविष्यति.जी हाँ ,ऐसा नेता सदियों में पैदा होता है.और सदियों तक मरता भी नहीं,सदैव जिंदा रहता है,हँसता,खिलखिलाता,मुस्कुराता,गुदगुदाता .सच में अटल एक महान ही नहीं एक अपरिमेय इंसान थे और हैं .न दैन्यम,न पलायनम को आत्मसात कर जीवन को अलमस्त जीने वाले अटल जी.
देखा तो कई बार था.उनका भाषण भी कई बार सुनने का अवसर मिला था,पर मेरी पहली अविस्मरणीय मुलाकात 1990 में हुई.उसके बाद तो अनगिनत मुलाकाते.प्रधानमंत्री बनने के पहले और बाद भी.
कई स्मृतियाँ है जेहन में.रह-रहकर गुदगुदाती है,पुचकारती है,दुलारती है,प्यार भरा चपत भी लगाती है और कई एक्सक्लूसिव ख़बरों के इंट्रो के मुख्य संपादक की याद भी दिलाती है.मेरी बिटिया के आशीर्वाद को भी याद दिलाती है तो प्रधानमंत्री निवास पर सुरक्षा प्रहरी द्वारा किनारे किये जाने पर हाथ पकड़ कर अपने पास खीचने का सम्मान और दुलार भी देती हैं.कभी उनके 6 रायसीना रोड स्थित आवास पर कॉफ़ी की चुस्कियों के साथ उनकी कविता श्रवण का आनंद भी.
अटल जी को आप जैसे मिलना चाहते थे,आपसे वैसे ही मिलते थे.जिस भाव में आप मिलते,आपको उससे ज्यादा प्यार और सम्मान का भाव मिलता.
अटल जी के साथ जुडी कई यादें है.स्मृतियाँ है,संस्मरण है.पर एक 2004 की एक बात कुछ और ही है.आज भी सोचता हूँ तो लगता है कि वो अटल जी ही थे,जिन्होंने मेरे जैसे को सुना,समझा और मामले की नजाकत को देखते हुए फौरी तौर पर राष्ट्र हित में उस पर अमल भी किया.मै गौरवान्वित हुआ.देश में एक ख़ुशी का माहौल बना.उसमे मेरा भी आंशिक योगदान तो जरुर था.पर परम आशीर्वाद अटल जी का था.
2004 की ईद की ईफ्तार पार्टी उनके नए सरकारी आवास 6A कृष्ण मेनन मार्ग पर आयोजित था.आयोजक थे भाजपा के युवा नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन.उस घटना को याद कर आज भी शाहनवाज सिहर से जाते हैं.शाहनवाज़ आज भी उस घटना को नहीं भूल सके हैं.पिछले दिनों एक टीवी चैनल के बहस में उन्हें वो घटना याद आ गयी.उनका कहना था .ये राकेश जी ही ऐसा कर सकते थे,बोल सकते थे अटल जी को.और किसी की हिम्मत नहीं थी और न ही सकती थी. मसला कांची कामकोटी शृगेरी मठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती की गिरफ़्तारी का था.तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने मुस्लिम और ईसाई मतों की राजनीति और अपनी जिद की वजह से वो गैरजिम्मेदाराना कृत्य किया था.मेरे विचार से वो हिन्दू धर्म पर एक कड़ा प्रहार था.ये भी गज़ब का संयोग था कि जिस दिन शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी हुयी थी,उसके दुसरे दिन ही अटल जी आवास पर ईफ्तार पार्टी का आयोजन था.वो पार्टी रद्द हो सकती थी.किन्ही कारणों से नहीं हुयी.
खैर,उस इफ्तार पार्टी में भी मैं भी निमंत्रित था.अटल जी घर था,तो स्वाभाविक था.मुख्य अतिथि अटल जी ही थे.बीच प्रांगण में एक मंडप सा बना था,अटल जी उस मंडप में विराजमान थे.मैं उनके पास गया.चरण-स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और उनसे सीधा एक सवाल किया-भगवन,आज तो आप बड़े खुश होंगे? इस पर उनका प्रतिप्रश्न था –क्यों? तो मैंने कहा.अपने शंकराचार्य जी को अम्मा ने गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया है.पर आपको क्या? आप तो शान से इफ्तार मनाये.वैसे भी आप उदारवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं.हिन्दू और हिंदुत्व से आपका क्या मतलब? वास्तव में मै काफी तनाव व गुस्से में था.सुबह से था,उस खबर के पीछे था.सबकुछ जानकर मन में एक अजीब सी कसमकश थी.अटल जी शायद मेरे ताबड़तोड़ सवालों के लिए तैयार नहीं थे.छूटते ही बोले-क्या हो गया है तुमको? मैंने कहा-कुछ भी नहीं.पर भगवन आप तो कुछ कीजिये.फिर बोले-क्या करूं? मैंने कहा अम्मा से तो बात कीजिये.क्या आपने अभी तक बात भी नहीं की.तब जाकर शायद वो जागे.तबतक मेरे रौद्र रूप को देखकर कई पत्रकार मित्र घबरा से गए थे.माहौल तनावपूर्ण हो गया था.बाद में भागकर अरुण जेटली और नीतीश कुमार मेरी तरफ आये.वरिष्ठ पत्रकार कल्याणी शंकर जी ने स्थिति को नियंत्रण में लिया.बोली राकेश जी,शांत हो जाये.ऐसे कोई बात करता है क्या? मैंने कहा-मेरी कोई गलती हो तो अटल जी के साथ आप सब भी मेरे को सज़ा दे सकते हैं.इसमें देश की बात है.हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की बात है.अटल जी ने मसला समझ प्यार से नजदीक बुलाया-भगवन,कुछ करता हूँ.आपकी चिंता जायज़ है.सब ठीक हो जायेगा.आप अपने गुस्से को कम कीजिये.स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं हैं.फिर उनके मनुहार भरे आश्वासन से मैं शांत हुआ.फिर माहौल में भी थोड़ी शांति आई.फिर अम्मा से उनकी बात करवायी गयी.साथ में मेरे को लगा कि देश का नेता हो तो ऐसा हो .
उस वक़्त शाहनवाज का चेहरा देखने लायक था.वह किंकर्तव्यविमूढ़ वाली स्थिति में दिख रहा था.पर बाद में सबकुछ सामान्य हो गया.वो तो होना था.क्योकि वो अटल थे.अपने विचारो पर अटल.अपने कर्मो पर अटल ,अपने वचनों पर अटल.सदैव अटल.
पर वो दिन और आज का दिन.मेरे को समय समय पर वो घटना याद आती है.अटल जी याद आते हैं.उनकी महानता याद आती है.नहीं तो कहाँ अटल जी ,कहाँ ये अदना सा एक पत्रकार.ये तो उनका प्यार था,आत्मीयता थी.खुलापन था,न्यायप्रियता थी,मृदुलता थी और अनुपम राष्ट्रवादी विचार.जिसका पूर्ण संयोजन का ही नाम था –अटल बिहारी वाजपेयी..
एक बात ये भी हैं कि मै और अटल जी एक दुसरे को “भगवन”कहकर सम्बोधन करते थे.इस सम्बोधन को सुनकर एक बार आज के रक्षा मंत्री और तब के कृषि व राजमार्ग मंत्री राजनाथ सिंह भी भ्रमित गए थे.पर उसका खुलासा अटल जी ने उनसे प्रधानमंत्री निवास के एक कार्यक्रम के दौरान किया था.
अटल जी की हंसी,खिलखिलाहट,भोलापन,अल्हड़पन,बाल मन से भरपूर मनोविनोद भाव से भरपूर पक्ष की
कमी आज भारतीय राजनीति के धरातल पर खलती है.पर गौर से विश्लेषण करे तो अटल जी की हंसी और खिलखिलाहट अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी से काफी कुछ मिलती है.पर वो अटल थे ,अविरल थे,अनुपम थे,अद्भुत थे .पर ये नरेन्द्र भाई “नरेन्” हैं,अपरिमेय है और अपने सच्चे गुरु के सच्चे शिष्य होने का बारम्बार परिचय देने से नहीं चुक रहे हैं.सबको पता है,देश को पता है,अब विश्व को भी पता है पाने नरेन्द्र भाई मोदी देश के लिए,राष्ट्र निर्माण के लिए जिद्दी नहीं,महा जिद्दी है.इसलिए वो अपरिमेय है.जो ठान लेते है,वो कर देंते है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के शब्दों में –वह न तो समस्या टालते हैं,न ही पालते है,वो तो समस्या को उस लायक छोड़ते ही नहीं.वो समस्याओं का जड़ों से निर्मूल उपचार करने में भरोसा करते है.तभी उनका नारा है –सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास,जो उन्हें त्रयगुरु अटल बिहारी वाजपेयी,लाल कृष्ण आडवानी और डॉ मुरली मनोहर जोशी से आशीर्वाद के तौर पर मिला है.जिससे नए भारत का निर्माण अवश्यम्भावी है.एक बात और,अटल जी साथ आडवानी थे,नरेद्र भाई मोदी के साथ अमित भाई शाह है.शायद इसे ही कहते हैं समय का चिरंतन काल चक्र.
अटल जी ने ठीक ही कहा था –इंसान बनो,केवल नाम से नहीं,
रूप से नहीं,शक्ल से नहीं,
ह्रदय से,बुद्धि से,सरकार से,ज्ञान से…
*कुमार राकेश
Comments are closed.