दिल्ली, 15 अप्रैल 2025 । भारतीय संविधान के शिल्पकार, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल—दिल्ली स्थित 26 अलीपुर रोड—को महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में 13 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। यह वही भवन है जहाँ बाबा साहेब ने 6 दिसंबर 1956 को अपने जीवन की अंतिम सांस ली थी।
यह बंगला कभी राजस्थान की सिरोही रियासत के महाराजा स्वरूपराम सिंह जी द्वारा बाबा साहेब को उपहार स्वरूप भेंट किया गया था। कहा जाता है कि बाबा साहेब ने न्यायालय में क्षत्रिय महाराजा के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दिलवाया था, जिसके पश्चात यह बंगला उन्हें जीवन भर के लिए सौंपा गया।
संविधान का मसौदा भी इसी ऐतिहासिक भवन में तैयार किया गया था। वर्षों बाद यह भवन निजी हाथों में चला गया—पहले मित्तल और फिर जिंदल परिवार के स्वामित्व में। अंबेडकर अनुयायियों ने इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए लम्बा आंदोलन चलाया।
2002 में एनडीए सरकार के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस ऐतिहासिक स्थल को जिंदल परिवार से मुआवज़े और भूमि के बदले अधिग्रहीत कर देशवासियों को समर्पित किया। वर्षों की प्रतीक्षा के बाद मोदी सरकार ने इस स्थल को एक भव्य रूप प्रदान किया—संविधान की पुस्तक के आकार में निर्मित इस भवन को डॉ. अंबेडकर महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में विकसित किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अप्रैल 2018, यानी अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर इसका लोकार्पण करते हुए इसे बाबा साहेब के विचारों और समर्पण का प्रतीक बताया। यह भवन न केवल श्रद्धांजलि है, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है।
देशभर से लाखों अनुयायी इस स्थल पर आकर बाबा साहेब को नमन करते हैं। यह भवन आज सामाजिक समरसता और संवैधानिक मूल्यों का प्रेरणास्रोत बन गया है।
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