रूस के खिलाफ अमेरिका ने लगाए प्रतिबंध, बाइडेन बोले-चुकानी होगी भारी कीमत

समग्र समाचार सेवा

वाशिंगटन, 22 फरवरी। यूक्रेन और रूस संकट के बीच अमेरिका ने  रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में अपने संबोधन में कहा कि यह यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि हम स्थिति का आंकलन करते हुए कदम उठा रहे हैं। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, ”हमारी तरफ से यूक्रेन की मदद के लिए किए जा रहे सभी प्रयास रक्षात्मक कदम हैं, हमारा रूस से युद्ध का कोई इरादा नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रूस आक्रामक तरीके से आगे बढ़ता रहा तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

रूस ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया

बाइडेन ने कहा कि बल और उपकरण एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया के बाल्टिक देशों में भेजा जाएगा। बाइडेन ने आरोप लगाते हुए कहा कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। यूक्रेन की सीमा पर उसने सेना को तैनात कर रखा है। हम नाटो की हर एक इंच जमीन की रक्षा करेंगे।

रूसपश्चिमी देशों के साथ और व्यापार नहीं कर पाएगा

इस बीच दो रूसी वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान करते हुए राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि रूस, पश्चिमी देशों के साथ और व्यापार नहीं कर पाएगा। हमारे पास कई कदम हैं जो उठाए जाने हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों के बीच जारी विवाद को सुलझाने की कोशिश करते रहेंगे।

अमेरिका ने पहली बार रूस की हरकत को आक्रमण’ माना

व्हाइट हाउस ने पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिकों की तैनाती का जिक्र करते हुए रूस के इस कदम को अब ‘आक्रमण’ करार दिया है। अमेरिका यूक्रेन संकट के प्रारंभ में इस शब्द का इस्तेमाल करने से हिचकिचाता रहा है। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा, हमारा मानना है कि यह आक्रमण की शुरुआत है।

हंगरी ने सीमा पर भेजी सेना

हंगरी के रक्षा मंत्री टिबोर बेंको ने कहा कि सेना संभावित मानवीय और सीमा सुरक्षा अभियानों की तैयारी के लिए यूक्रेन की सीमा के पास सैनिकों को तैनात करेगी। प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने सशस्त्र समूहों का हंगरी के क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए सेना को देश की पूर्वी सीमा पर तैनात करने का आदेश दिया।

रूस का निर्णय स्वीकार नहीं: तुर्की

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने कहा, पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने का रूस का निर्णय स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करने का आह्वान किया है।

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