समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 अप्रैल। आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को अमेरिका से एक और बड़ा झटका लगा है। अमेरिका ने पाकिस्तान की एक दर्जन से अधिक कंपनियों को अपनी निगरानी सूची (Watchlist) में डाल दिया है। यह कार्रवाई अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो द्वारा की गई है, जिसमें इन कंपनियों को असुरक्षित परमाणु गतिविधियों में संलिप्त माना गया है।
अमेरिकी सरकार का कहना है कि ये कंपनियां अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के विपरीत होने वाले ऐसे कार्यों में शामिल हैं। आरोप है कि ये कंपनियाँ पाकिस्तान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका तौल रही थीं। इस कदम के तहत अमेरिका ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह वैश्विक परमाणु सुरक्षा और अप्रसार के मुद्दे पर किसी भी प्रकार की ढिलाई के पक्ष में नहीं है।
जिन पाकिस्तानी कंपनियों को निगरानी सूची में शामिल किया गया है, उनमें ब्रिटलाइट इंजीनियरिंग, इंटेनटेक इंटरनेशनल, इंट्रालिंक इनकॉर्पोरेटेड, प्रोक मास्टर, रहमान इंजीनियरिंग एंड सर्विसेज सहित कई अन्य नाम शामिल हैं। अमेरिका का आरोप है कि ये संस्थाएं पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम में महत्वपूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान कर रही थीं।
इन सूची में जुड़ने के बाद, ये कंपनियां अमेरिका से कोई भी उच्च तकनीकी उत्पाद खरीदने के लिए विशेष अनुमति प्राप्त करनी पड़ेगी, और इनकी हर गतिविधि पर दुनिया भर में नजर रखी जाएगी।
पाकिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया आई है इस कार्रवाई पर। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने अमेरिका के इस कदम को ‘अनुचित और पक्षपाती’ घोषित करते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और ज्यादा प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला बिना किसी स्पष्ट प्रमाण के लिया गया है और इससे देश की तकनीकी और औद्योगिक प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा .
यह अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर इस तरह की सख्ती का पहला मौक़ा नहीं है। इससे पहले अमेरिका ने दिसंबर 2024 में ही पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और कराची स्थित तीन मुख्य वाणिज्यिक कंपनियों — अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड एंटरप्राइज— पर भी प्रतिबंध लगाया था।
अमेरिका के इस नए निर्णय का प्रभाव न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन, ईरान, दक्षिण अफ्रीका और यूएई की लगभग 70 कंपनियों पर पड़ेगा, जिन्हें हाल ही में बदले गए निर्यात प्रशासन विनियमों (Export Administration Regulations – EAR) के तहत शिकार में लिया गया है।
इस पूरी कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका अपने सुरक्षा हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा और परमाणु अप्रसार के मामले में कठोर रुख अपनाए हुए है। पाकिस्तान के लिए यह एक और चेतावनी है कि वह अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाए।
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