अमेरिका की धमकी के बीच भारत का दो टूक जवाब: रूस से रणनीतिक रिश्ते नहीं होंगे कमजोर

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अगस्त:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल-हथियार खरीद को लेकर CAATSA जैसी सजा की चेतावनी के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है और वह किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आएगा।

ट्रंप की धमकी: “भारत को कीमत चुकानी होगी”

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि अगर भारत रूस से अपने रक्षा और ऊर्जा संबंध जारी रखता है, तो अमेरिका भारत के कई प्रमुख उत्पादों पर 25% टैरिफ लगा सकता है। साथ ही उन्होंने CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के तहत भारत पर प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी।

ट्रंप का बयान: “अगर भारत रूस का समर्थन करता है, तो उसे इसका आर्थिक मूल्य चुकाना पड़ेगा।”

भारत-रूस रक्षा सहयोग: भरोसे की मिसाल

इन चेतावनियों के बीच, भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के उप रक्षा मंत्री कर्नल जनरल अलेक्जेंडर फोमिन के बीच मॉस्को में हुई बैठक बेहद महत्वपूर्ण रही। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को और मज़बूत करने, संयुक्त हथियार निर्माण, और सैन्य तकनीकी साझेदारी पर चर्चा की।

भारत पहले ही रूस से Su-30MKI, S-400, पनडुब्बी तकनीक और ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली जैसे सामरिक हथियार खरीद चुका है। बैठक “पारंपरिक गर्मजोशी और दोस्ती” के माहौल में हुई।

भारत की रणनीतिक स्वायत्तता: मजबूती से कायम

भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी बाहरी दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकेगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रूस से संबंध सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि यह ऐतिहासिक भरोसे और दीर्घकालीन सहयोग पर आधारित है।

भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल आयात भी जारी रखा है और यूक्रेन युद्ध पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संतुलित रुख अपनाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुख भारत की बहुध्रुवीय वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में एक अहम कदम है।

आत्मनिर्भरता और रक्षा नीति

रूस के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी भारत को आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की ओर ले जा रही है। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, बल्कि भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक भी है।

सरकार की नीति स्पष्ट है—भारत अपनी रणनीति खुद तय करेगा और मित्र देशों के साथ परस्पर सम्मान और सहयोग के आधार पर संबंध बनाए रखेगा।

अमेरिका की टैरिफ और प्रतिबंधों की धमकी के बीच भारत ने जो रुख अपनाया है, वह दृढ़ता, संतुलन और दीर्घदर्शिता का प्रतीक है। भारत-रूस सहयोग न केवल रक्षा क्षेत्र में बल्कि कूटनीतिक स्वतंत्रता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। आने वाले दिनों में यह मामला वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों में भारत की भूमिका को और अधिक परिभाषित करेगा।

 

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