समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 जुलाई। सिक्किम के सांसद डी.टी. लेप्चा ने राज्यसभा में एक अनोखी मांग उठाई है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि भारत-चीन सीमा (LAC) का नाम बदलकर ‘तिब्बत सीमा’ (Tibet Border) रखा जाए। संसद के मानसून सत्र में बजट पर चर्चा के दौरान, डी.टी. लेप्चा ने दावा किया कि इस नाम परिवर्तन से क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
सांसद डी.टी. लेप्चा का सुझाव:
डी.टी. लेप्चा ने अपने सुझाव को पेश करते हुए कहा, “चीन लंबे समय से हमारे क्षेत्रों का नाम बदलने और कब्जा करने में लगा हुआ है। अगर हम भी चीन बॉर्डर का नाम बदलते हैं, तो यह गलत नहीं होगा। ऐतिहासिक तथ्यों के हिसाब से सीमा का नाम ‘तिब्बत बॉर्डर’ रखा जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि नाम बदलकर हम चीन के प्रभाव को सीमित कर सकते हैं और यह नाम क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तथ्यों के अनुरूप होगा।
चीन सीमा का नाम बदलने की मांग:
सांसद लेप्चा ने कहा कि चीन लंबे समय से हमारे क्षेत्रों पर कब्जा करने के प्रयास में है और इसने कई क्षेत्रों के नाम बदल दिए हैं। उन्होंने बताया कि चीन सीमा, जो अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक 1400 किलोमीटर तक फैली हुई है, उसे ‘चीन सीमा’ के नाम से जाना जाता है, जो कि एक गलत नाम है। उन्होंने इस नाम को ‘तिब्बत सीमा’ करने की आवश्यकता पर बल दिया।
चीन के प्रभाव को कम करने का प्रयास:
डी.टी. लेप्चा ने जोर देकर कहा कि नाम परिवर्तन से न केवल चीन के आक्रामक रवैये का मुकाबला किया जा सकता है, बल्कि यह क्षेत्र की ऐतिहासिक सच्चाई को भी पुनर्स्थापित करेगा। उनका मानना है कि यह कदम चीन के प्रभाव को कमजोर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
सांसद डी.टी. लेप्चा की मांग का उद्देश्य:
इस मांग का मुख्य उद्देश्य चीन द्वारा किए जा रहे क्षेत्रीय आक्रमण और नाम बदलने की प्रक्रिया को चुनौती देना है। डी.टी. लेप्चा का सुझाव भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
इस प्रकार के कदम से न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को भी ध्यान में रखा जा सकता है, जो क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
सांसद डी.टी. लेप्चा का यह प्रस्ताव संसद में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन सकता है और यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।
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