अमित मालवीय ने बी. सुदर्शन रेड्डी की लालू से मुलाकात को बताया चौंकाने वाला, उपराष्ट्रपति चुनाव में सियासी घमासान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 सितंबर: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय ने सोमवार को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी की चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद से हालिया मुलाकात की तीखी आलोचना की। मालवीय ने इसे उच्च संवैधानिक पद की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति की ओर से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी पर चौंकाने वाला रुख बताते हुए, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की चुप्पी को भी पाखंड करार दिया।

भाजपा नेता ने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और विपक्षी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद से मुलाकात की। लालू न संसद सदस्य हैं और न ही उपराष्ट्रपति चुनाव में उनका कोई वोट है। यह केवल एक भयावह दिखावा नहीं, बल्कि उच्च संवैधानिक पद की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति की ओर से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी पर चौंकाने वाला रुख है। उनका पाखंड उजागर हो गया है।”

मालवीय की आलोचना के बीच, 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी और एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के बीच सीधा मुकाबला होगा। मतदान से पहले भाजपा ने रविवार को एक ‘संसद कार्यशाला’ का आयोजन किया, जिसमें सांसदों को मतदान प्रक्रिया और रणनीति के बारे में मार्गदर्शन दिया गया।

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सोमवार शाम को संसद भवन के एनेक्सी में विपक्षी सांसदों के लिए रात्रिभोज का आयोजन करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य विपक्ष की एकता और बी. सुदर्शन रेड्डी के समर्थन को मजबूत करना है। उनके समर्थन में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का भी समर्थन शामिल है।

उपराष्ट्रपति पद फिलहाल रिक्त है। 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया था। उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 64 और 68 के प्रावधानों के तहत आयोजित होता है। चुनाव आयोग इसे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के अनुसार अधिसूचित करता है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है। यह प्रक्रिया गुप्त मतदान के जरिए संपन्न होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव में केवल सियासी समीकरण ही निर्णायक नहीं होंगे, बल्कि उम्मीदवारों की सार्वजनिक छवि और संवैधानिक नैतिकता भी मतदान पर असर डाल सकती है। अमित मालवीय की आलोचना और विपक्षी उम्मीदवार के समर्थन में आयोजित रात्रिभोज से यह स्पष्ट है कि चुनाव की रणनीति और प्रचार दोनों पक्षों के लिए निर्णायक साबित होंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से न केवल संसद में सत्ता संतुलन प्रभावित होगा, बल्कि आगामी राजनीतिक समीकरणों पर भी गहरा असर पड़ेगा। इस दौरान सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी, संवैधानिक नैतिकता और विपक्षी-सरकार के बीच रणनीति मुख्य चर्चा के मुद्दे बने हुए हैं।

 

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