श्री विजयपुरम में वीर सावरकर को नमन, अमित शाह का संबोधन

वीर सावरकर की आदमकद प्रतिमा का अनावरण, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हाथों हुआ लोकार्पण

  • अमित शाह ने वीर सावरकर को अद्वितीय देशभक्त, समाज-सुधारक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रणेता बताया
  • ‘सागरा प्राण तळमळला’ को देशभक्ति की अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा करार दिया
  • अंडमान-निकोबार को स्वतंत्रता सेनानियों की तपोभूमि बताते हुए सुभाष बाबू के योगदान को किया स्मरण
  • युवाओं से अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के साथ राष्ट्र-निर्माण में योगदान का आह्वान

समग्र समाचार सेवा
श्री विजयपुरम | 13 दिसंबर: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने शुक्रवार को श्री विजयपुरम में स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा रचित प्रसिद्ध कविता ‘सागरा प्राण तळमळला’ के 115 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) डी. के. जोशी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

अमित शाह ने कहा कि अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आज पूरे देश के लिए एक तीर्थस्थल है, जहां वीर सावरकर ने अपने जीवन के सबसे कठिन क्षण बिताए। उन्होंने इस भूमि को असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, तप और समर्पण से बनी तपोभूमि बताया। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के सुझाव पर द्वीपों का नाम ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ रखना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उस ऐतिहासिक स्वप्न को साकार करना है।

गृह मंत्री ने वीर सावरकर की आदमकद प्रतिमा के लोकार्पण को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को सावरकर के बलिदान, साहस और मातृभूमि के प्रति अखंड समर्पण की प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने कहा कि सावरकर का जीवन युवाओं के लिए कर्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रीय एकता और समृद्ध भारत के निर्माण का संदेश है।

अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर के अनुसार वीरता भय का अभाव नहीं, बल्कि भय पर विजय है। उन्होंने ‘सागरा प्राण तळमळला’ को देशभक्ति की सर्वोच्च अभिव्यक्ति बताते हुए कहा कि सावरकर का व्यक्तित्व सागर के समान अथाह था, जिसे किसी एक पुस्तक, कविता या फिल्म में सीमित करना कठिन है।

उन्होंने यह भी कहा कि सावरकर आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम थे। उन्होंने अस्पृश्यता सहित समाज की कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया और दो उम्रकैद के बावजूद मातृभूमि के यशोगान के लिए साहित्य सृजन किया। अमित शाह ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जिस नींव पर आज देश आगे बढ़ रहा है, उसकी वैचारिक आधारशिला वीर सावरकर ने ही रखी थी।

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