लोकसभा में बवाल: PM-CM को हटाए जाने वाले बिल पर हंगामा, विपक्ष ने फाड़ी कॉपी

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश किए, जिनमें 130वां संविधान संशोधन विधेयक भी शामिल। बिल में गंभीर आरोपों में 30 दिन तक हिरासत में रहने वाले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पद से हटाने का प्रावधान है।

  • गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया, जिसका उद्देश्य गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाना है।
  • बिल पेश होते ही विपक्ष ने भारी हंगामा किया, बिल की प्रतियां फाड़कर अमित शाह पर फेंकी और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया।
  • हंगामे के बीच, अमित शाह ने सभी तीन विधेयकों को विचार के लिए संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 अगस्त, 2025: संसद के मॉनसून सत्र में बुधवार को उस समय एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। इन विधेयकों में सबसे प्रमुख 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 है, जिसमें एक ऐतिहासिक प्रावधान शामिल किया गया है। इस विधेयक के अनुसार, यदि कोई प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य का कोई मंत्री गंभीर अपराध (जिसमें 5 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान हो) के आरोप में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो 31वें दिन उसका पद स्वतः ही समाप्त हो जाएगा।

यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेशों और जम्मू-कश्मीर में भी समान प्रावधान लागू करने का प्रस्ताव करता है, जिसका मकसद संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं के लिए जवाबदेही और नैतिकता सुनिश्चित करना है।

विपक्ष का ‘काला दिन’, बिल को बताया ‘तानाशाही’

जैसे ही अमित शाह ने विधेयक पेश किया, विपक्ष ने एकजुट होकर इसका कड़ा विरोध किया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में जोरदार नारेबाजी की। कई सांसदों ने विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं और विरोध में गृह मंत्री की ओर फेंकी। विपक्ष ने इस बिल को “अलोकतांत्रिक” और “तानाशाही” करार दिया। उनका आरोप था कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने के लिए करेगी। कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने तो यहां तक कह दिया कि जब अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे और गिरफ्तार हुए थे, तब उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया था।

शाह का विपक्ष पर पलटवार: ‘मैं नैतिकता सिखाने नहीं आया’

विपक्ष के आरोपों पर अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “मैं नैतिकता सिखाने नहीं आया हूँ, लेकिन मेरे ऊपर भी जब झूठे आरोप लगे थे, तो मैंने गिरफ्तारी से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। और जब तक कोर्ट ने मुझे बरी नहीं कर दिया, मैंने कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया।” उन्होंने विपक्ष से पूछा कि वे संविधान की प्रतियां फाड़कर सदन का अपमान क्यों कर रहे हैं। शाह ने जोर देकर कहा कि यह बिल राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि सुशासन और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए लाया गया है।

जेपीसी को भेजा गया बिल, आगे की राह

सदन में बढ़ते हंगामे के बीच, अमित शाह ने विपक्ष को शांत करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित नहीं कराना चाहती, इसलिए वह इसे लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों वाली एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को विचार के लिए भेजने का अनुरोध करते हैं। इस प्रस्ताव को स्पीकर ने स्वीकार कर लिया, जिसके बाद हंगामे में कुछ कमी आई। जेपीसी अब इस विधेयक के सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेगी और अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करेगी। यह कदम दर्शाता है कि सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन विधेयक के प्रावधानों को लेकर राजनीतिक घमासान अभी भी जारी रहेगा।

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