गृहमंत्री अमित शाह ने मुंबई में ‘दीप सी फिशिंग वेसल्स’ का उद्घाटन किया, कहा- मछुआरों को आत्मनिर्भर बनाना मोदी सरकार की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मझगांव डॉक, मुंबई में कार्यक्रम — सहकारिता मॉडल से मछुआरों की आमदनी सीधे उनके घर पहुंचेगी, आने वाले समय में और ट्रॉलर्स दिए जाएंगे

  • अमित शाह ने कहा, सहकारिता आधारित मॉडल गरीब मछुआरों की समृद्धि का माध्यम बनेगा।
  • मोदी सरकार ब्लू इकॉनमी को मज़बूत कर आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार कर रही है।
  • फिलहाल 14 ट्रॉलर्स दिए जाएंगे, आगे और ट्रॉलर्स सहकारी संस्थाओं के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • मत्स्य क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग और निर्यात की व्यवस्था भी सहकारी समितियों के जरिये की जाएगी।

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 28 अक्टूबर:
केंद्रीय गृहमंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज मुंबई स्थित मझगांव डॉक में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ‘दीप सी फिशिंग वेसल्स’ (Deep Sea Fishing Vessels) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, श्री अजित पवार और केंद्रीय राज्य मंत्री (सहकारिता) श्री मुरलीधर मोहोळ उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के समुद्री मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण और तटीय इलाकों में सहकारिता आधारित विकास की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करने और ब्लू इकॉनमी को सशक्त बनाने के लिए सहकारिता की ताकत का उपयोग कर रही है।

श्री शाह ने बताया कि आज जिन दो ट्रॉलर्स का उद्घाटन हुआ है, वे मछुआरों की आय में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे। पहले जहां मछुआरे वेतन पर काम करते थे, वहीं अब सहकारिता मॉडल के माध्यम से उन्हें सीधे मुनाफा मिलेगा। प्रारंभिक चरण में 14 ट्रॉलर्स दिए जा रहे हैं और आगे केंद्र सरकार, सहकारिता मंत्रालय एवं मत्स्य विभाग मिलकर और ट्रॉलर्स उपलब्ध कराएंगे।

उन्होंने बताया कि ये ट्रॉलर्स गहरे समुद्र में 25 दिनों तक रह सकते हैं और 20 टन तक मछली पकड़ने की क्षमता रखते हैं। इनके साथ बड़ी जहाजें भी रहेंगी जो मछलियों को तट तक पहुंचाने में मदद करेंगी। ट्रॉलर्स में रहने और भोजन की सुविधाएं भी दी गई हैं।

अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि देश के लगभग 11,000 किलोमीटर लंबे तटवर्ती क्षेत्र में रहने वाले गरीब मछुआरों को सहकारिता के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए। उन्होंने कहा कि “सहकारिता का मूल मंत्र है—जो मेहनत करे, मुनाफा उसी का हो।”

उन्होंने यह भी कहा कि देश की समृद्धि केवल GDP से नहीं मापी जा सकती। जब गांव-गांव का गरीब व्यक्ति आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेगा, तभी भारत सच्चे अर्थों में विकसित राष्ट्र बनेगा।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि भविष्य में मत्स्य क्षेत्र में प्रोसेसिंग, चिलिंग सेंटर और निर्यात सुविधाएं भी सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे महाराष्ट्र की शुगर मिलों ने किसानों की आय बढ़ाई और गुजरात की अमूल डेयरी ने महिलाओं को सशक्त बनाया, वैसे ही मत्स्य क्षेत्र में भी सहकारिता मॉडल आर्थिक समृद्धि का आधार बनेगा।

श्री शाह ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि 2014-15 में देश का कुल मत्स्य उत्पादन 102 लाख टन था, जो अब बढ़कर 195 लाख टन हो गया है। इसमें मीठे पानी की मत्स्य उत्पादन में 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि भारत का विशाल तटीय क्षेत्र समुद्री उत्पादन को कई गुना बढ़ाने की क्षमता रखता है, और सहकारिता मंत्रालय इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।

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