अमरोहा: बिल्डिंग का नक्शा पास करने में अधिकारी कर रहे थे आनाकानी, स्कूल प्रबंधक ने मुस्लिम टोपी पहनकर दे डाली ये धमकी, फिर…

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 फरवरी।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक स्कूल प्रबंधक को अपनी बिल्डिंग का नक्शा पास करवाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सरकारी अधिकारियों की लेटलतीफी और अड़ंगेबाजी से परेशान होकर उन्होंने एक अनोखी तरकीब अपनाई, जिसने सबको हैरान कर दिया। उन्होंने मुस्लिम टोपी पहनकर ऐसा बयान दे दिया कि पूरा मामला चर्चा का विषय बन गया।

नक्शा पास करने में आ रही थी परेशानी

स्कूल प्रबंधक लंबे समय से अपनी नई बिल्डिंग का नक्शा पास कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। हर बार उनसे नए-नए दस्तावेज मांगे जा रहे थे, और जब भी वे अधिकारियों से मिलते, तो फाइल आगे बढ़ाने के बजाय किसी न किसी बहाने से मामला लटका दिया जाता

थक हारकर प्रबंधक ने अपनाया नया तरीका

लगातार हो रही परेशानियों से तंग आकर स्कूल प्रबंधक ने मुस्लिम टोपी पहनकर अधिकारियों से मुलाकात की और एक अलग अंदाज में अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि “अगर मेरा काम नहीं हुआ, तो मैं इसे सांप्रदायिक भेदभाव समझूंगा और मामला ऊपर तक ले जाऊंगा।”

उनका यह बयान सुनते ही अधिकारी सकते में आ गए। पहले तो वे चुप रहे, लेकिन जल्द ही फाइल पर तेजी से काम शुरू हो गया।

फिर क्या हुआ?

प्रबंधक की यह चाल काम कर गई। जैसे ही उन्होंने धार्मिक भेदभाव का इशारा दिया, अधिकारी तुरंत सक्रिय हो गए। देखते ही देखते, जिस नक्शे को मंजूरी मिलने में महीनों लग रहे थे, वह कुछ ही दिनों में पास हो गया।

क्या यह सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाता है?

यह मामला यह दर्शाता है कि सरकारी तंत्र में कैसे आम आदमी को परेशान किया जाता है और फाइलें जानबूझकर रोकी जाती हैं। जब तक किसी मामले में विवाद या दबाव न बने, तब तक अधिकारियों का रवैया सुस्त बना रहता है।

निष्कर्ष

अमरोहा की यह घटना यह दिखाती है कि अगर सिस्टम पारदर्शी और निष्पक्ष होता, तो किसी भी नागरिक को इस तरह के कदम उठाने की जरूरत नहीं पड़ती। सवाल यह है कि क्या बिना किसी दबाव या चालाकी के आम आदमी का काम सरकारी दफ्तरों में आसानी से हो सकता है? या फिर हर किसी को अपने हक के लिए कोई न कोई अनोखी तरकीब अपनानी पड़ेगी?

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