समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4जून। जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में उल्लेख किए गए प्रावधानों के तहत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्डकी स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी। पिछले छह दशकों में केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के पास सबसे अधिक संस्थाएं गौशाला तथा पंजरापोल उसे संबंध है। बोर्ड पशुओं पर होने वाले अपराध को नियंत्रित करने तथा उन्हें समान अधिकार प्रदान करने के लिए कार्यरत है।
आज विज्ञान की कसौटी पर यह बात सही पाया गया है कि अगर पशुओं की देखभाल ठीक ढंग से किया जाए तो उनकेउत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
इन्हीं उद्देश्यों को लेकर के अंतरराष्ट्रीय पटल परपशुओं के पांच आधारभूत सुविधाओं “फाइव फ्रीडम” की चर्चा की गई है जिसमें उन्हें स्वस्थ रखने, पोस्टिकएवं पर्याप्त आहार देने, तनाव मुक्त रखने, पीड़ा रहित रखने और उनके साथ होने वाले बेहतर व्यवहार एवं सर्वोत्तम प्रबंध की बातों को जीव जंतु कल्याण के नाम से परिभाषित किया गया है।
गौशाला और पंजरापोले में पाले पूछे जाने वाले पशुओं की देखभाल
देश भर की गौशाला और पंजरापोले में पाले पोशे जाने वाले पशुओं की देखभाल की निगरानी की जाती है और केंद्र सरकार यथासंभव उन्हें सुविधाएं देती है। सबसे बड़ी मूल समस्या यह होती है कि जब तक पशु दूध देता है तो लोग अपने पास रखते लेकिन बाद में उसे लावारिस छोड़ देते हैं और गोवंश दर-दर मारे फिरता है। घटनाएं होती हैं साथ-साथ उनके ऊपर अपराध होते हैं जिसका सीधा असर समाज पर पड़ता है कानूनी तौर पर वह अपराध है।
देशभर के पशु पक्षियों के लिए चारा दाना का प्रबंधन
देशभर के पशु पक्षियों के लिए चारे दाने का प्रबंधन एक बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। केंद्र सरकार इस दिशा में न केवल आर्थिक सहायता देती है बल्कि उनके चिकित्सा और अन्य प्रबंधन के लिए भी सहायता देती है। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के पास में पशु कल्याण की कई तरह की स्कीम है जिसे बोर्ड के वेबसाइट पर आसानी से देखा समझा औरउसका लाभ उठाया जा सकता है।
देशभर के छुट्टा पशुओं को के प्रबंधन का आसान रास्ता
पिछले दो दशकों से प्रयोग के माध्यम से पाया गया है कि अगर पशुओं के लिए चारे पानी और छाया का प्रबंधन किया जाए तो गोवंश को आसानी से किसी भी प्रांत में कहीं भी उनका लालन-पालन किया जा सकता है। सबसे बड़ी भारतीय गोवंश की विशेषता यह है कि वह अपने अंतिम क्षण तक गोबर गोमूत्र जैसे बहुमूल्य उत्पादों को प्रदान कर किसान को सुखी और संपन्न बनाते हैं। वर्तमान परिपेक्ष में गोबर गोमूत्र के विभिन्न प्रयोगों की चर्चा जगजाहिर है । बस इसमें किसान भाइयों को अपनाने की परम आवश्यकता हैताकि खेत की उर्वरा शक्ति बनाए रखने से लेकर के पौष्टिक, कम लागत में ज्यादे उत्पादन करने तथा मुनाफा कमाने का और दूसरा रास्ता नही हैं ।
देश में A1 A2 मिल्क के उत्पादन की विवाद से बचने की आवश्यकता है
दुनिया के हर कोने में यार वैज्ञानिक और गैर वैज्ञानिक समुदाय को यह पता है कि भारतीय नस्ल के गोवंश A2 मिल्क के उत्पादन करने के लिए प्रख्यात है। लेकिन दुखद बात है कि पिछले कई दशकों से भारतीय एनिमल ब्रीडिंग पॉलिसी में कोई परिवर्तन नहीं लाया गया इसलिए संकर नस्ल के गोवंश के पशुओं का अंधाधुंध बढ़ावा देने से देश की A2 उत्पादन करने वाली देसी नस्ल है धीरे-धीरे हाशिए पर आ जाएंगी और वही हाल होगा जो हम आज हरित क्रांति के नाम से डरने लगे हैं। कई प्रांतों में धान और गेहूं के अवशिष्ठ जलाए जाते हैं और बेहतरीन सूखा चारा जला दिया जाता है साथ-साथ खेत की उर्वरा शक्ति भी जल जाती है और जीवाणु मर जाते हैं तथा मिट्टी और वायु तथा पानी प्रदूषित हो जाता है। फलक इस दिशा में वैज्ञानिकों ने काफी अनुसंधान कार्य किया है और यह विश्वविद्यालय स्वयं अनेक अनुसंधान कार्य किया है इसमें अधिक बताने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन मुद्दा महत्वपूर्ण है ।
आज देश में गोबर गोमूत्र क्रांति की आवश्यकता है
इसमें दो राय नहीं है कि खेत में जीवांश खाद की कमी के वजह से फसलों का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है सर साथफसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। पिछले दो दशकों से हम सभी समस्त महाजन नामक एक संस्था के साथ गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और अभी उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती तथा ऑर्गेनिक फार्मिंग के कार्य को आरंभ करने जा रहे हैं जिसमें बागवानी, जल संरक्षण तथा गौ संरक्षण का कार्य शामिल है। गोबर की बेहतर व्यवस्था के लिए हमने किसान कार्ड का भी शुरुआत किया है जिसे पिछले वर्ष चालू कर दिया गया है। इसे दूरदर्शन दिल्ली के विशेष अनुरोध पर 3 एपिसोड में व्याख्यान देने का अवसर प्राप्त हुआ है। 7. बेहतर उत्पादन के लिए पशु कल्याण बहुत जरूरी है ।
बेहतर उत्पादन के लिए पशु कल्याण बहुत जरूरी है
अंत में चलते-चलते मैं कहना चाहूंगा कि पशु कल्याण के बिना बेहतर स्वस्थ एवं पौष्टिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञान की कसौटी पर यह स्पष्ट हो चुका है कि एनिमल वेलफेयर के उपायों को अपनाने से गोवंश का बेहतर प्रबंधन तथा बेहतर उत्पाद प्राप्त किया जा सकता है। इस दिशा में गौशाला बहुत अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। हमारे यहां गुजरात में कई ऐसे कार्य किए गए हैं जिन्हें पूरे देश भर के लोग आकर के प्रशिक्षण लेते हैं और अपनी अपनी संस्थाओं में अपनाते हैं। इस विषय पर हर साल हम तीन या चार प्रशिक्षण आयोजित करते हैं जिसमें तकरीबन 1,200 – 1,500 लोग शामिल होते हैं और सुबह 9:00 बजे से लेकर के रात 9:00 बजे तक मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं जो सचमुच देखने योग्य होता है।
पधारो हमारे देश
हम आपसे आग्रह करते हैं आप हमारे कार्यक्रमों को देखिए । हमारे किसानों से मिलिए। हमारे डिमॉनट्रेसन केंद्रों को देखिए जिस पर बहुत ही व्याख्यान देने की जरूरत नहीं होती है किसान देख कर के एक अत्यंत प्रशिक्षित एअवां जागरुक किसान के रूप में अपने घर वापस जाते हैं।
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