समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 मई। ‘‘भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के परिरक्षण, संरक्षण और संवर्धन को प्राथमिकता देना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है, और फिल्में इस विरासत का अहम हिस्सा हैं।’’ यह बात केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज पुणे स्थित भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के अपने दौरे के दौरान कही।
सिनेमाई विरासत को संरक्षित, पुनर्स्थापित और डिजिटलीकरण करना लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्ष 2016 में शुरू किए गए राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन का उद्देश्य हमारी सिनेमाई विरासत को संरक्षित, पुनर्स्थापित और डिजिटलीकरण करना है। इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि कल यह निर्णय लिया गया है कि ‘इस मिशन के लिए निर्दिष्ट किए गए 597 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय में से 363 करोड़ रुपये का उपयोग विशेष रूप से फिल्म पुनर्स्थापन के लिए किया जाएगा, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म पुनर्स्थापन परियोजनाओं में से एक बन जाएगी।’
फिल्में हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा
उन्होंने कहा कि फिल्में हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं और पिछले 100 वर्षों में फिल्म उद्योग द्वारा किए गए मौलिक योगदान ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग बना दिया है। उन्होंने बताया कि 5900 से भी अधिक लघु फिल्मों, वृत्तचित्रों और फीचर फिल्मों को अभिनव रूप देने की प्रक्रिया चल रही है और एनएफएआई द्वारा शुरू की गई यह कवायद दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म पुनर्स्थापन, संरक्षण, परिरक्षण और डिजिटलीकरण प्रक्रियाओं में से एक साबित हो रही है।
पुनर्स्थापन प्रक्रिया में बड़ी संख्या में फिल्में शामिल
उन्होंने यह भी बताया कि पुनर्स्थापन प्रक्रिया में बड़ी संख्या में फिल्में शामिल हैं जिनमें विभिन्न भारतीय भाषाओं में बनाई गई लघु फिल्में, फीचर फिल्में, वृत्तचित्र फिल्में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस उत्तरदायित्व को एक मिशन मोड में लिया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस मूल्यवान सिनेमाई विरासत को पुनर्स्थापित करने और संग्रहीत करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों को लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
एफटीआईआई के कामकाज की समीक्षा बैठक की
इससे पहले मंत्री ठाकुर ने आज ही भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के कामकाज की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की और एफटीआईआई को उत्कृष्टता के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाए जाने के विजन पर विचार-विमर्श किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त फिल्म संस्थानों के साथ सहयोग करने से विद्यार्थियों की कहानी प्रस्तुत करने की क्षमता बेहतरीन हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एफटीआईआई को उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देना चाहिए और छात्रों को फिल्म एवं टीवी प्रोडक्शन में स्टार्टअप शुरू करने के लिए तैयार करना चाहिए।
एफटीआईआई भारत का एक प्रतिष्ठित संस्थान
उन्होंने मीडिया से कहा, ‘एफटीआईआई भारत का एक प्रतिष्ठित संस्थान है। समीक्षा बैठक के दौरान टीवी और फिल्म क्षेत्र में एफटीआईआई को कैसे आगे बढ़ाया जाए और एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स के क्षेत्र में एफटीआईआई को कैसे बढ़ावा दिया जाए, इस पर विस्तृत चर्चा हुई। इसके साथ ही हमारे छात्रों का कौशल बढ़ाकर उन्हें नौकरी चाहने वालों के स्थान पर उद्यमी बनाया जा सकता है।’
यह नए सिरे से विचार करने का समय
केंद्रीय मंत्री ने अपनी एक दिवसीय पुणे यात्रा के दौरान कहा, ‘मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र में हमारे विजन को साकार करने में हमारे संस्थान और छात्र इसके केंद्र में हैं। ठाकुर ने कहा, ‘यह नए सिरे से विचार करने का समय है और भारत को दुनिया का कंटेंट हब बनाने का लक्ष्य तय करना चाहिए।’ मंत्री महोदय ने आज भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) और भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) में समीक्षा बैठक की।
आपस में मिलकर काम करने की जरूरत पर दिया बल
मंत्री महोदय ने कहा, ‘मैंने यह समझने के लिए एफटीआईआई के छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की कि हम कैसे इस संस्थान का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए आपस में मिलकर काम कर सकते हैं और नए जमाने की सिनेमाई उत्कृष्टता, साझेदारी और इससे भी कुछ अधिक कार्य सफलतापूर्वक करने के लिए इसे तैयार कर सकते हैं।’ केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने एफटीआईआई की अकादमिक पत्रिका ‘लेंसाइट’ के हिंदी संस्करण का विमोचन भी किया।
कई पदाधिकारी इस दौरान रहे मौजूद
विभागाध्यक्षों के साथ बातचीत करते हुए अनुराग ठाकुर ने यहां के संकाय से खुद को निरंतर उन्नत करते रहने और उद्योग जगत से भागीदारों को एफटीआईआई में लाने का आग्रह किया। एफटीआईआई, के अध्यक्ष शेखर कपूर, सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा व एफटीआईआई के निदेशक संदीप शाहरे और संस्थान के अन्य पदाधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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