समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने में किसी भी तरह की देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी- उपराष्ट्रपति

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4जुलाई। उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि समान नागरिक संहिता भारत और उसके राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से बांध देगी और बल देकर कहा कि “यूसीसी लागू करने में किसी तरह की और देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी।

उपराष्ट्रपति ने आज आईआईटी गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा कि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (डीपीएसपी) ‘देश के शासन में मौलिक’ हैं और उन्हें नियमों में बदलना राज्य का कर्तव्य है। यह उल्लेख करते हुए कि पंचायत, सहकारी समितियां और शिक्षा का अधिकार जैसे नीति निर्देशक सिद्धांत पहले ही कानून में बदल चुके हैं, उन्होंने रेखांकित किया कि यह संविधान के अनुच्छेद 44 को लागू करने का समय है।

भारत की छवि को धूमिल करने के प्रयासों और “लगातार राष्ट्र-विरोधी भारत विरोधी कथा रचने वालों के प्रति आगाह करते हुए  धनखड़ ने जोर देकर कहा, “यह सही समय है कि भारत-विरोधी कथा के कोरियोग्राफरों को प्रभावी ढंग से अस्वीकार कर दिया जाए।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि “किसी भी विदेशी संस्था को हमारी संप्रभुता और प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भारत को सबसे पुराना, सबसे बड़ा, सबसे क्रियाशील और जीवंत लोकतंत्र बताते हुए, जो वैश्विक शांति और सद्भाव को स्थिरता दे रहा है, उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा, “हम अपने समृद्ध और फलते-फूलते लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों पर चोट नहीं झेल सकते।

उन्होंने भ्रष्टाचार को कतई सहन नहीं करने की नीति का जिक्र करते हुए भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार लोकतंत्र विरोधी है, भ्रष्टाचार खराब शासन है, भ्रष्टाचार हमारे विकास को कम करता है… भ्रष्टाचार मुक्त समाज आपके विकास की सबसे सुरक्षित गारंटी है। धनखड़ ने इस बात पर भी अपनी अस्वीकृति व्यक्त की कि कुछ लोग भ्रष्टाचार के लिए पकड़े जाने पर कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेने के बजाय सड़कों पर उतर आते हैं।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से भारतीय होने और इसकी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करने के लिए भी कहा। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि विद्यार्थी आर्थिक राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्ध हों और राष्ट्र और राष्ट्रवाद की कीमत पर आर्थिक लाभ लेने से बचें। उन्होंने छात्रों को दूरदर्शी व्यक्तित्व डॉ. बी. आर. अंबेडकर के बहुमूल्य शब्दों को भी याद दिलाया- “आपको पहले भारतीय होना चाहिए, अंत में भारतीय होना चाहिए और भारतीयों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।

धनखड़ ने अपने दीक्षांत भाषण में विद्यार्थियों का ध्यान सहिष्णु होने की आवश्यकता की ओर भी आकर्षित किया। उन्होंने कहा, ‘हमें अन्य दृष्टिकोणों पर भी विचार करना चाहिए, क्योंकि अक्सर अन्य दृष्टिकोण सही दृष्टिकोण होता है।

उपराष्ट्रपति इससे पहले दिन में  (डॉ.) सुदेश धनखड़ के साथ गुवाहाटी में प्रसिद्ध मां कामाख्या मंदिर गए और पूजा-अर्चना की। बाद में उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी के विद्यार्थियों के साथ बातचीत की।इस अवसर पर असम के राज्यपाल  गुलाब चंद कटारिया, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा, आईआईटी गुवाहाटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. राजीव मोदी, आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर परमेश्वर के. अय्यर, वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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