समग्र समाचार सेवा
इंदौर, 11 जनवरी।
हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने के तलिए जरूरी है, कि हम आम दैनिक जीवन में बोलचाल और कामकाज में हिंदी का प्रयोग बढ़ाएं। हमारे साहित्य सृजन, इतिहास लेखन में हिंदी की प्रमुख स्वीकार्य भूमिका है।
ये विचार ‘देवपुत्र’ के कार्यकारी सम्पादक और साहित्य भारती के महामंत्री गोपाल माहेश्वरी ने अपने सम्मान के उत्तर में कहे। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। विश्व हिंदी दिवस देवपुत्र पुस्तकालय परिसर में ‘आनंद गोष्ठी’ संस्था ने एक समारोह आयोजित किया। इसमें गोपाल माहेश्वरी का हिंदी और साहित्य के लिए की जा रही सेवाओं के लिए शॉल और श्रीफल से सम्मान किया गया। संस्था के संरक्षक गोविंद मालू ने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है, कि उसकी सेवा करने वाले मूक सेवकों को समाज में प्रचारित और सम्मानित किया जाए। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की, कि इंदौर में एक आधुनिक शोध केंद्र स्थापित किया जाए। मालू का कहना था कि हिंदी भाषी इलाकों में इंदौर ही ऐसा शहर है, जहाँ शुद्ध हिंदी बोली जाती है। जबकि, अन्य क्षेत्रों में स्थानीय बोलियों का समावेश हो जाता है। अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष ऊष्मा मालू और विशाल देशपाण्डे, मुकेश सोलंकी,अमित विजयवर्गीय,अनिल पुरोहित, लक्की आदि ने किया। आभार अंशुल पंडित ने माना। इस अवसर पर साहित्य और हिंदी के विद्यार्थी उपस्थित थे।
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