
’हम तो कड़ी धूप में तेरी ओर नंगे पांव चले
चले तुम भी पर संभल कर छांव-छांव चले’
राजस्थान की प्रखर भगवा नेत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का विद्रोह पिछले काफी समय से आकार ले रहा है, इस बात की भनक विपक्षी पार्टियों को भी लग चुकी है। योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए वसुंधरा को लखनऊ जाना था, इसीलिए पिछले हफ्ते वह जयपुर से दिल्ली पधारीं और जब वह दिल्ली में प्रवास कर रही थीं तो कहा जाता है तभी उनकी एक गुप्त मुलाकात दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के साथ हुई। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि जब वसुंधरा से मिलने मनीष सिंधिया हाउस पहुंचे तो इन दोनों नेताओं के दरम्यान कई मुद्दों पर खुल कर चर्चा हुई, कहा यह भी जाता है कि मनीष केजरीवाल का एक खास संदेश लेकर इस भाजपा नेत्री के पास पहुंचे थे कि आप संयोजक वसुंधरा को राजस्थान में आप का सीएम फेस बनाना चाहते हैं। मनीष ने यह भी कहा कि स्वयं अरविंद केजरीवाल उनसे मिलने आना चाहते हैं। इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए वसुंधरा ने थोड़ा वक्त मांगा। पर सूत्र बताते हैं कि इस मुलाकात के तुरंत बाद ही वसुंधरा को पीएम मोदी से मिलने का बुलावा आ गया। पीएम ने वसुंधरा से कहा कि ’राजमाता सिंधिया के लिए उनके दिल में विशेष आदरभाव है, वह एक ऐसी व्यक्तित्व थीं जिन्होंने अपनी दम पर भाजपा को मध्य प्रदेश में खड़ा कर दिया था।’ पीएम ने आगे कहा ’मुझे मालूम है कि इन दिनों आप उलझन में हैं, आपकी नाराज़गी भी मैं समझ सकता हूं, पर आप हड़बड़ी में कोई गलत फैसला मत लीजिए। आप मेरे ऊपर ये छोड़ दो, आपके साथ सब अच्छा होगा।’ सूत्रों की मानें तो वसुंधरा के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की कुछ फाइल केंद्र सरकार की नज़रों में है। इस दफे 8 मार्च को जब वसुंधरा राजे का जन्मदिन था तो भाजपा की प्रदेश इकाई ने अपने कैडर को साफ आगाह कर रखा था कि भाजपा नेता और कार्यकर्ता वसुंधरा के जन्मदिन समारोह से कुछ दूरी बना कर रखें, पर हाईकमान की तमाम चेतावनियों के बावजूद वसुंधरा के समारोह में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटी, इससे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कान खड़े हो गए, इसके बाद से ही लगातार वसुंधरा पर नज़र रखी जा रही है।
क्या आजमगढ़ से डिंपल यादव लड़ेंगी?
इस बार संसद सत्र के दौरान यूं अचानक संसद के गलियारे में असदुद्दीन ओवैसी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से टकरा गए, एक पल को दोनों की नज़रें मिलीं और ओवैसी ने आगे बढ़ कर तपाक से अखिलेश को गले लगा लिया। पहले तो अखिलेश ने शिकायतों का पिटारा खोलते हुए कहा कि उनकी पार्टी एआईएमआईएम ने इन यूपी चुनावों में सपा का कितना नुकसान किया है। पर ओवैसी की मुद्रा थी ’चलो अब आगे बढ़ते हैं।’ फिर ओवैसी की पार्टी के गुड्डू जमाली के बसपा के हाथ थामने पर अखिलेश ने कहा-’मैंने आपसे कहा था इनको (जमाली को) मेरे पास भेजो, मैं इन्हें एमएलसी बना दूंगा, पर आपने मेरी बात सुनी नहीं।’ ओवैसी कुछ बोले नहीं, बस मुस्कुराते रहे। दरअसल, आजमगढ़ लोकसभा सीट से अपना इस्तीफा देने के बाद अखिलेश के लिए उप चुनाव में यह सीट उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। बसपा के मुबारकपुर के पूर्व विधायक गुड्डू जमाली उर्फ शाह आलम फिर से लौट कर बसपा से दांव आजमा रहे हैं। जमाली की उम्मीदवारी ने अखिलेश की पेशानियों पर बल ला दिए हैं, क्योंकि यह एक बड़े बिल्डर हैं, पैसे की कोई कमी नहीं, मुस्लिमों में एक लोकप्रिय चेहरे हैं और इस यूपी चुनावों में ओवैसी ने जो 100 उम्मीदवार उतारे थे, उनमें से 99 की जमानत जब्त हो गई, बस जमाली ही चौथे स्थान पर रह कर अपनी जमानत बचा पाए थे। भाजपा की योजना शिवपाल यादव को अखिलेश से तोड़ कर उन्हें आजमगढ़ से अपना उम्मीदवार बनाने की है, जिससे कि यादव परिवार और यादव गढ़ में दोफाड़ हो सके। अखिलेश के आगे बस यही विकल्प बचता है कि या तो वे अपनी पत्नी डिंपल यादव को आजमगढ़ से मैदान में उतारें या फिर वहां के सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव पर दांव लगाएं, पर जो भी हो इस बार आजमगढ़ उप चुनाव का नज़ारा बेहद दिलचस्प होने जा रहा है।
कांग्रेस में राहुल की ताजपोशी की तैयारियां
जंग का अंजाम चाहे जो रहा हो पर कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल गांधी को एक वैसे सेनापति के तौर पर देख रही हैं जिन्होंने दुश्मनों के समक्ष अंत तक घुटने नहीं टेके। चुनांचे अब स्वयं सोनिया कांग्रेस के हर वैसे असंतुष्ट व नाराज़ नेताओं को फोन कर रही हैं और उनसे मनुहार भी कर रही है कि राहुल ही पार्टी का बेड़ा पार लगाएंगे। अगले कुछ महीनों में राज्यसभा की 57 सीटें खाली होने वाली जिसमें कांग्रेस के हाथ महज़ 10-11 सीटें ही आने वाली है। फिर भी सोनिया ने गुलाब नबी और मुकुल वासनिक जैसे जी-23 के बागी नेताओं से वादा कर दिया है कि उन्हें राज्यसभा मिलेगी। बदले में सोनिया सिर्फ इतना चाहती हैं कि राहुल के दुबारा ताजपोशी का कांग्रेस के किसी भी कोने से विरोध न हो। वहीं दिल्ली में दीपेंद्र हुड्डा के घर पर सचिन पायलट पधारे। पायलट की नाराज़गी है कि प्रियंका-राहुल ने अपने तमाम वादों के बावजूद सचिन के लिए कुछ नहीं किया। सचिन का कहना था कि उनसे कहा गया था कि अशोक गहलोत को या तो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर या फिर कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बना कर और गुजरात का प्रभार देकर उन्हें राजस्थान से बाहर ले जाया जाएगा और तब प्रदेश सरकार की कमान उन्हें सौंप दी जाएगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। और ना ही ऐसी कोई सुगबुगाहट ही दिख रही है। अब कांग्रेस के इन दोनों युवा नेताओं ने तय किया है कि यह मौजूदा सूरतेहाल बदलने की पहल भी इन्हें ही करनी होगी।
कांग्रेसी क्षत्रपों का पार्टी शीर्ष से मोल-तोल
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव समय से पूर्व हो सकते हैं। वैसे तो कर्नाटक के विधानसभा चुनाव मई 2023 में होने हैं, पर भाजपा की योजना कर्नाटक के चुनाव गुजरात चुनावों के साथ इस दिसंबर माह में कराने की है। पांच में से चार राज्यों में भगवा पताका लहराने के बाद भाजपा और संघ के हौसले बम-बम हैं और पार्टी को कहीं न कहीं ऐसा भी लगता है कि हिजाब के मुद्दे पर राज्य में तेजी से हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है, माहौल भाजपा के पक्ष में बना है सो, इस मौके को गंवाना नहीं चाहिए। मामले की नज़ाकत को भांपते हुए कर्नाटक कांग्रेस के एक कद्दावर नेता डीके शिवकुमार पिछले दिनों राहुल और प्रियंका गांधी से मिले। सूत्र बताते हैं कि इन दोनों नेताओं के समक्ष शिवकुमार ने प्रस्ताव रखा है कि ’अगर उन्हें कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस अपना सीएम फेस ‘डिक्लेयर’ करती है तो वे विधानसभा चुनाव में पार्टी का सारा चुनावी खर्च उठाने को तैयार है।’ राहुल-प्रियंका ने उनके इस प्रस्ताव पर अभी हामी नहीं भरी है। दिलचस्प है कि इसी तर्ज पर गुजरात के आसन्न विधानसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कुछ ऐसा ही प्रस्ताव राहुल-प्रियंका के समक्ष रखा है। पीके दोनों भाई-बहन से मिलने जब पहुंचे तो उनके साथ लेहुआ पाटीदार समुदाय के एक बड़े नेता और व्यवसायी नरेश पटेल भी थे। समझा जाता है कि पीके का प्रस्ताव भी कमोबेश डीके शिवकुमार वाला ही था, कि अगर नरेश पटेल को कांग्रेस गुजरात चुनाव में अपना सीएम फेस घोषित कर दे तो यहां भी पार्टी का सारा खर्च पटेल उठा लेंगे। प्रियंका ने चुटकी लेते हुए पीके से कहा-’गुजरात चुनाव में तो अभी देर है, पहले पार्टी के केंद्रीय कोष की ही कुछ मदद हो जाए।’ पीके ने भी मजाक-मजाक में प्रियंका से कह दिया-’हम तो आपको दीदी बुलाते थे, पर यह आइडिया तो ’बहिनजी’ (मायावती) का लग रहा है।’
योगी की दर्देबयानी
मंत्रिमंडल के विभागीय बंटवारे के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कुछ मुंहलगे पत्रकारों से ‘ऑफ द् रिकार्ड’ बतिया रहे थे। जिसमें योगी ने खुलासा किया कि वे स्वतंत्र देव सिंह को डिप्टी सीएम, साथ ही महेंद्र सिंह और जयप्रताप सिंह को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाना चाहते थे, पर दिल्ली हाईकमान की एक लिस्ट पहले से तैयार थी। जब ये लिस्ट उन्हें देखने को दी गई तो उसमें श्रीकांत शर्मा और सिद्धार्थनाथ सिंह के नाम भी शामिल थे, फिर उन्होंने विरोध जताते हुए कहा कि ’जब भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की छवि पेश करनी है तो फिर ये नाम क्यों?’ फिर ये दोनों नाम काट दिए गए। सूत्र बताते हैं कि भाजपा शीर्ष की ओर से श्रीकांत शर्मा को आश्वासन मिला है कि 2024 में उन्हें मथुरा से भाजपा अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाएगी, इससे पहले उन्हें संगठन में लाकर किसी महत्वपूर्ण राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है। रही बात ब्रजेश पाठक के डिप्टी सीएम बनने की तो योगी ने स्पष्ट किया कि ब्राह्मण चेहरे के तौर पर डिप्टी सीएम के लिए उनकी पहली पसंद दिनेश शर्मा ही थे। पर ब्रजेश पाठक ने सतीश शर्मा के साथ मिल कर बसपा उम्मीदवारों के चयन में भाजपा की जीत सुनिश्चित कराने में अहम भूमिका निभाई, जिसका उन्हें ईनाम मिला। सनद रहे कि ब्रजेश पाठक बसपा से ही भाजपा में आए हैं।
कांग्रेस की मंथन बैठक में हाथापाई
पंजाब में कांग्रेस की करारी हार को लेकर एक समीक्षा बैठक आहूत थी। जिसमें पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज हरीश चौधरी भी उपस्थित थे। इस बैठक में जब प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और खडूर साहिब से सांसद जसवीर सिंह गिल डिंपा जब बोलने को खड़े हुए तो बोलते-बोलते बेहद आवेश में आ गए और उन्होंने सीधे हरीश चौधरी पर ही अंगुली उठा दी और कहा ‘जब नोट के बदले टिकट बिकेंगे तो नतीजा और क्या आएगा।’ चौधरी ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वे बोलने में भाषा की गरिमा का पालन करें। पर जब डिंपा अपनी रौ में बोलते चले गए तो नौबत हाथापाई की आ गई। शिकायत सोनिया गांधी तक पहुंची, सोनिया ने चौधरी और डिंपा दोनों को तलब कर समझाया कि ऐसी बातें ‘पब्लिक डोमेन’ में आने से पार्टी डैमेज होती है। पर दोनों फिर से सोनिया के सामने ही लड़ पड़े। सोनिया को भी कहीं न कहीं इस बात का इल्म हुआ कि अब पार्टी में गांधी परिवार का इकबाल पहले जैसा नहीं रहा।
..और अंत में
ओडिशा के नगर पंचायत चुनावों में बंपर जीत के बाद बीजद मुखिया नवीन पटनायक के हौसले बम-बम हैं। बीबीसी के वीमेन स्पोर्ट्स अवार्ड में बतौर मुख्य अतिथि बन कर वे पिछले मंगलवार को दिल्ली आए थे, उनका पीएम मोदी से मिलने का भी कार्यक्रम था, पर किसी कारणवश यह मुलाकात नहीं हो पाई तो पटनायक से कहा गया कि वे पीएम के एक वरिष्ठ सहयोगी मंत्री से मिल कर उनके समक्ष अपनी बात रख दें। पर नवीन इसके लिए तैयार नहीं हुए, उन्होंने कहा-’वे फिर से दिल्ली आ जाएंगे, जब पीएम के पास दुबारा टाईम होगा।
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