अरविंद केजरीवाल ने मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, BJP को लेकर पूछे ये 4 सवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 जनवरी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को एक चिट्ठी लिखी है, जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। इस चिट्ठी में केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नीतियों और कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और मोहन भागवत से स्पष्टता की मांग की है।

चिट्ठी में पूछे गए चार बड़े सवाल

अरविंद केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में BJP के नेतृत्व और कार्यप्रणाली को लेकर निम्नलिखित चार सवाल उठाए:

  1. धर्म और राजनीति का मिश्रण क्यों?
    केजरीवाल ने पूछा कि BJP लगातार धर्म के नाम पर राजनीति क्यों कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म को राजनीति से जोड़ने से समाज में विभाजन पैदा हो रहा है और RSS इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।
  2. विकास पर ध्यान क्यों नहीं?
    उन्होंने सवाल किया कि BJP ने सत्ता में आने के बाद रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान क्यों नहीं दिया। केजरीवाल का आरोप है कि BJP केवल प्रचार और विवादों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
  3. लोकतंत्र और स्वतंत्र संस्थानों पर हमला क्यों?
    केजरीवाल ने लिखा कि BJP के शासन में लोकतांत्रिक संस्थानों पर खतरा बढ़ गया है। उन्होंने चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर BJP की कथित दखलंदाजी पर सवाल उठाया।
  4. सांप्रदायिक तनाव क्यों बढ़ रहा है?
    उन्होंने आरोप लगाया कि BJP के शासन में देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है। केजरीवाल ने भागवत से पूछा कि क्या RSS इस मुद्दे पर चुप रहेगा या BJP को इस दिशा में सुधार के लिए कहेगा।

राजनीतिक बयानबाजी तेज

इस चिट्ठी के सामने आने के बाद BJP और AAP के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। BJP ने इसे राजनीतिक ड्रामा करार दिया है और कहा कि केजरीवाल ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, AAP ने कहा कि यह सवाल देश के हर नागरिक के मन में हैं, और केजरीवाल ने सिर्फ उन्हें आवाज दी है।

RSS की प्रतिक्रिया का इंतजार

अब सबकी नजर RSS और मोहन भागवत की प्रतिक्रिया पर है। RSS आमतौर पर सीधे राजनीति में शामिल नहीं होता, लेकिन इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भागवत इन सवालों पर कोई जवाब देते हैं।

निष्कर्ष

अरविंद केजरीवाल की यह चिट्ठी राजनीतिक चर्चाओं को नए सिरे से शुरू करने का प्रयास है। जहां BJP इसे ध्यान भटकाने का कदम बता रही है, वहीं AAP इसे जनता की आवाज मान रही है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन सवालों पर देश की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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