पूनम शर्मा
“काशी से कन्याकुमारी तक, भारत को OTT के गंदगी के खिलाफ उठ खड़ा होना होगा!”
आज के भारत में, मनोरंजन के नाम पर एक चुपचाप लेकिन खतरनाक हमला हो रहा है — हमारे मूल्यों, मर्यादा और सांस्कृतिक आत्मा पर। ULLU, ALTBalaji, MX Player और न जाने कितने OTT प्लेटफॉर्म्स हमारे घरों में बेहिसाब अश्लील, भड़काऊ और अनैतिक कंटेंट परोस रहे हैं।
गंदी बात, चर्मसुख, मस्तराम, और XXX: Uncensored जैसे शो मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक स्तंभों को ढहाने के सुनियोजित औजार बन चुके हैं।
क्या इन निर्माताओं और निर्देशकों के घरों में बेटियाँ और बहनें नहीं हैं? या फिर इन्होंने अपने लालच और विकृति के आगे अपनी अंतरात्मा का सौदा कर लिया है?
हर निर्वस्त्र दृश्य, हर वासना की महिमा गाथा और हर पराई संबंधों की सामान्यीकरण हमारे प्राचीन “संस्कार” और “मर्यादा” के सिद्धांतों पर सीधा हमला है। ये सिर्फ आलोचना के पात्र नहीं हैं, ये सांस्कृतिक अपराधी हैं — और इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
OTT प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती अश्लीलता को लेकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सख्त कानून बनाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई कि इस प्रकार के बेहिसाब अश्लील कंटेंट तक युवा पीढ़ी की सरल पहुँच समाज पर विनाशकारी प्रभाव डालेगी। जब देश की सर्वोच्च अदालत, जो सामान्यतः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा में सतर्क रहती है, इस प्रकार का कड़ा रुख अपनाए — तो यह मात्र सांस्कृतिक बहस नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आपातकाल बन जाता है।
यह कोई दुर्घटना नहीं है।
यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है — भारतीय परिवार व्यवस्था को तोड़ने का, नारी गरिमा को कलंकित करने का, और नैतिक अराजकता को बढ़ावा देने का।
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गंदी बात — भारत के ग्रामीण सौंदर्य को एक सस्ते और घटिया तमाशे में बदलता है।
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मस्तराम — विकृति को नायकत्व का चोला पहनाता है।
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चर्मसुख और Wanna Have a Good Time — नैतिकता की हर सीमा को पार करते हुए परस्पर अनैतिक और अपवित्र रिश्तों को महिमामंडित करते हैं।
क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?
या फिर भारत के युवा मस्तिष्कों को विकृत और विकलांग बनाने का खुला षड्यंत्र?
जैसे-जैसे युवा पीढ़ी इस विषाक्त सामग्री का उपभोग करती है, महिलाओं के प्रति सम्मान घटता है, रिश्ते वासना की नज़र से देखे जाते हैं और अपराध बढ़ते हैं।
शोध पहले ही यह सिद्ध कर चुके हैं कि पोर्नोग्राफी की लत और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बीच गहरा संबंध है।
भारत, जो नारी को देवी मानता है, वह इस विकृति संस्कृति के साथ सह-अस्तित्व नहीं कर सकता।
कड़ा नियमन: OTT प्लेटफॉर्म्स पर तत्काल और सख्त सेंसरशिप।
सख्त सजा: अश्लीलता फैलाने वाले निर्माताओं पर भारी जुर्माना और जेल।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण: भारतीय इतिहास, परिवार और मूल्यों पर आधारित शुद्ध मनोरंजन का प्रसार।
जन-जागरूकता अभियान: युवाओं को इस मानसिक जहर के खतरों से अवगत कराना।
और सबसे महत्वपूर्ण — सरकार को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बिना देरी किए तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।
भारत केवल एक भूभाग नहीं है; यह एक 1.5 लाख वर्ष पुरानी सभ्यता है जो धर्म, त्याग और मर्यादा की नींव पर टिकी है। आज जो OTT प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही गंदगी है, वह हमारे पूर्वजों के बलिदानों का अपमान है।
यदि आज हमने कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों को एक खोखला, आत्मा-विहीन भारत मिलेगा।
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