ऑस्ट्रेलिया और भारत आपसी समृद्धि एवं वैश्विक कल्याण के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं- धर्मेन्द्र प्रधान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8नवंबर। केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और सांसद जेसन क्लेयर के साथ मंगलवार को गांधीनगर में वॉलोन्गॉन्ग और डीकिन विश्वविद्यालयों के भविष्य में बनने वाले परिसरों के स्थान का दौरा किया। उन्हें परिसर की प्रगति और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई।
मंत्रियों ने आरंभ (द बिगिनिंग) नामक एक कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें गिफ्ट सिटी में परिसरों के उद्घाटन की औपचारिक रूप से घोषणा की गई। भारतीय धरती पर विदेशी विश्वविद्यालयों का खुलना राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की परिकल्पना के अनुरूप है। आरंभ कार्यक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जिसमें भारत में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय परिसरों की शुरुआत का उत्सव मनाने के लिए प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, मंत्री और अकादमिक प्रमुख एक साथ शामिल हुए।
डीकिन विश्वविद्यालय और वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने कोविड-19 महामारी जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी पर प्रकाश डालते हुए दो देशों के बीच साझेदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत में परिसरों के खुलने के साथ शुरू होने वाले पाठ्यक्रमों सहित भविष्य की योजनाओं को साझा किया।
इस अवसर पर प्रधान ने छात्र और शैक्षणिक समुदाय को नए ‘आरंभ’ के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश में विदेशी विश्वविद्यालय परिसर भारत में अध्ययन की सुविधा प्रदान करेंगे और एनईपी 2020 में की गई परिकल्पना के अनुसार एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण भी बनाएंगे।
श्री प्रधान ने उल्लेख किया कि अवसरों की भूमि- गिफ्ट सिटी में इन दो विश्वविद्यालयों के परिसर खोलना छात्र समुदाय के लिए एक ‘उपहार’ है। उन्होंने एनईपी के माध्यम से भारत की शिक्षा में बदलाव लाने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना और प्रयासों के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के छात्र और संकाय इस तरह के प्रयासों से मिलकर कार्य करेंगे, अध्ययन करेंगे और आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा, यह परिवर्तनकारी नीति ‘स्वदेश में अंतर्राष्ट्रीयकरण’ पर जोर देती है, जिसका लक्ष्य हमारे अपने देश के भीतर एक जीवंत, विविध और समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाना है।
दोपहर में, दोनों मंत्रियों ने ‘रिसर्च डॉयलॉग: न्यू होराइजन्स इन रिसर्च कलेबोरेशन’ सम्मेलन को संबोधित किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य एक सफल अनुसंधान इकोसिस्टम में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए नवीन अवसरों की पहचान करना था। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल, भारत के प्रमुख उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
श्री प्रधान ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए नए अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से ‘रिसर्च डॉयलॉग’ में अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि समाज के व्यापक लाभ के लिए अनुसंधान को प्राथमिकता वाला क्षेत्र होना चाहिए; ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों आपसी समृद्धि व वैश्विक कल्याण के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दोनों मंत्रियों ने उद्योग शिक्षा साझेदारी पर शिक्षाविदों और उद्योग जगत के प्रमुखों से मुलाकात की, जहां शिक्षा-उद्योग संबंधों को मजबूत करने, विश्वविद्यालय साझेदारी के माध्यम से उद्योग को लाभ पहुंचाने, अनुसंधान एवं विकास सहयोग आदि पर चर्चा हुई।
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