समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19अप्रैल।सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार के लिए एवीजीसी नीतियों के मसौदे पर पहली राष्ट्रीय कार्यशाला और परामर्श का आयोजन किया। एवीजीसी से संबंधित केंद्र और राज्य दोनों स्तरों के कई सरकारी निकायों, एवीजीसी क्षेत्र के उद्योग संघों और उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ भागीदारी होनी थी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव और एवीजीसी टास्कफोर्स के अध्यक्ष अपूर्वा चन्द्रा ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने भारत में एवीजीसी (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स – एक्सटेंडेड रियलिटी) क्षेत्र को मजबूत करने के मंत्रालय के प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि राज्य भी एवीजीसी क्षेत्र के विकास से लाभान्वित होने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास करते हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्वा चन्द्रा ने अपने उद्घाटन भाषण में एवीजीसी क्षेत्र के कई समर्थकों के बारे में बात की, जिसमें शिक्षा और कौशल क्षेत्र के प्रमुख स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में एवीजीसी क्षेत्र की विकास दर अभूतपूर्व रही है और आने वाले दशक में इसके तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अपूर्व चन्द्रा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हमारे बच्चों को सही उम्र में सही तरह का एक्सपोजर देना अनिवार्य है, ताकि उन्हें अपने रचनात्मक कौशल को निखारने और इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का अवसर मिले, जिसके लिए मसौदा नीति में कौशल और शिक्षा पर समान रूप से जोर दिया गया है।
भविष्य में उद्योग के दायरे के बारे में चर्चा करते हुए अपूर्व चंन्द्रा ने कहा कि एवीजीसी आज उस स्थान पर है, जहां भारतीय आईटी क्षेत्र इसवी सन 2000 के आसपास था। आईटी क्षेत्र दुनिया में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है और एवीजीसी क्षेत्र में भी यही क्षमता है। उन्होंने कहा यह भी कहा कि हॉलीवुड की प्रमुख फिल्मों में आज भारत से कौशल और जनशक्ति का योगदान शामिल है। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रतिभाओं के लिए सही प्रकार के स्किल इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उन्होंने देश के एवीजीसी के सपने को पूरा करने में राज्यों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रयासों को बढ़ाने और क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक संसाधनों को जुटाने में राज्यों की भूमिका को सर्वोपरि माना।अपूर्व चंद्रा ने उत्कृष्टता के लिए क्षेत्रीय केंद्र बनाने पर जोर दिया और इस दिशा में कर्नाटक द्वारा उठाए गए कदमों की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें कई स्टार्टअप पहले से ही केंद्र का हिस्सा हैं।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने भारत को एवीजीसी स्पेस में एक गो-टू हब बनाने के लिए इस क्षेत्र में भविष्य के लिए तैयार कौशल की सुविधा की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने मजबूत फिजिकल इन्फ्राट्रक्चर की स्थापना के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो एक छात्र के सीखने और विकास में सहायता करेगा। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने पहचान की है कि एवीजीसी क्षेत्र के विकास के लिए स्किलिंग पहल महत्वपूर्ण होगी और स्किलिंग इकोसिस्टम प्रदान करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एवीजीसी के कुछ अग्रणी राज्यों ने कार्यशाला के दौरान अपनी सीख और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा किया, जिसमें अन्य राज्यों को मार्गदर्शन प्रदान करने की परिकल्पना की गई है, जिसमें राज्य-स्तरीय एवीजीसी नीतियों का मसौदा तैयार करने में उनकी मदद करना शामिल है। कार्यशाला के दौरान कवर किए गए सत्रों की परिकल्पना राज्यों को राज्य की एवीजीसी नीति के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टता हासिल करने में मदद करने के लिए की गई है, जिससे वे राज्य स्तरीय नीतियों का मसौदा तैयार करने में सक्षम हो सकें।
निगरानी एवं मूल्यांकन (एमएंडई) और एवीजीसी-एक्सआर स्पेस में काम करने वाली विभिन्न प्रमुख कंपनियों और उद्योग निकायों के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में भाग लिया और देश में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन आदर्श राज्य नीति को उसके अनुकूलन और उसे अपनाने के लिए राज्यों में प्रसारित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किया गया था। इसने राष्ट्रीय नीति के मसौदे पर चर्चा के लिए इसे अपने हितधारकों की जरूरतों के अनुरूप बनाने के लिए एक मंच भी प्रदान किया। इसके अलावा कार्यशाला में कुछ राज्यों द्वारा एवीजीसी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने पर एक सत्र भी आयोजित किया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (फिल्म) पृथुल कुमार की टिप्पणी और धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।
एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स का गठन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्वा चन्द्रा की अध्यक्षता में किया गया था। इसने दिसंबर 2022 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसे उठाए जाने वाले कदमों के लिए मार्गदर्शन दस्तावेज के रूप में अपनाया गया है। इसमें राज्यों के लिए राष्ट्रीय नीति और मॉडल नीति का प्रारूप भी है।
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