भारत में आर्थिक उदारीकरण के पुरोधा पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहराव को भारत रत्न दिया जाना,सर्वाधिक सराहनीय, सार्थक और अभिनन्दनीय कदम !!
*डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी
पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव जी को भारत रत्न दिया जाना शायद एक सार्वाधिक सराहनीय, सार्थक और अभिनन्दनीय कदम है। आंतरिक और बाह्य सभी मोर्चों पर सबसे अधिक विपरीत परिस्थितियों जैसे दिवालिया होने की दहलीज के मुद्रा भंडार और नीतिगत दुष्प्रबन्धन के कारण बैसाखी तलाशती अर्थव्यवस्था,अभिन्न मित्र सोवियत संघ और पूर्वी ब्लाक के पतन और पश्चिमी खेमे में संदेह भाव, WTO का उदय की चुनौतियों साथ देश की प्रायः परम्परागत एक-दिशीय और लगभग सबल मित्र रहित सी विदेश नीति के मोर्चे पर एक विकटतम संकट, मंडल और कमंडल की चुनौतियों से घिरे अभूतपूर्व आंतरिक सामाजिक/साम्प्रदायिक तनाव, गठबंधनों की राजनीति में अस्थिर अल्पमत सरकारें जैसी हर प्रकार की दृष्टिगत चुनौती के साथ अपने दल में शीर्ष परिवार तथा पार्टी नेताओं की कठिनतम चुनौतियां और चिंताजनक स्वास्थ्य स्थितियों के अभूतपूर्व पहाड़ सरीखी चुनौतियों के बीच अपनी अदृष्टपूर्व दूरदर्शिता, अद्वितीय विद्वता के साथ अनोखी सूझ-बूझ और गहन अंतर्दृष्टि से इक्कीसवीं सदी के नये भारत के लिए आवश्यक नयी आर्थिक, तकनीकी और विदेश नीति के निर्माता और सूत्रधार के रूप में प्रत्येक संकट से भारत को सफलतापूर्वक उबारने में देश के लिए उनका योगदान अद्भुत और अतुलनीय है जिसका शायद ही कोई सही से मूल्यांकन हुआ हो।
एक ऐसा विराट व्यक्तित्व,जिसका अंतिम संस्कार भी सही से न हो सका, राजधानी दिल्ली में ऐसे महामानव की चिता भी जलाने की जगह तक न मिल सकी हो, जिनके योगदान को पूरी तरह मिटाने का प्रयास उनकी ही पार्टी ने किया हो और उनको नकारा हो, जिसका कोई बड़ा राजनीतिक उत्तराधिकार या उपादेयता भी सीमित हो, उस विद्वान राज-ऋषि को भारत रत्न के रूप में देखने से बढ़कर खुशी के पल दुर्लभ हैं। राष्ट्र नेतृत्व इस निष्पक्ष निर्णय के लिए हार्दिक अभिनन्दन और साधुवाद का पात्र है।
जीवन परिचय
स्व पी.वी. नरसिंह राव के पिता का नाम पी रंगा राव था। राव का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के करीमनगर में हुआ था। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय व नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की थी। पीवी नरसिंह राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं।
करियर
पेशे से कृषि विशेषज्ञ व वकील रहे राव राजनीति में आए और कुछ महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला। वे आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून व सूचना मंत्री, 1964 से 67 तक कानून व विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य व चिकित्सा मंत्री और 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। वे 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। वे 1975 से 76 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव, 1968 से 74 तक आंध्र प्रदेश के तेलुगू अकादमी के अध्यक्ष और 1972 से मद्रास के दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उपाध्यक्ष रहे।
वे 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य, 1977 से 84 तक लोकसभा के सदस्य रहे और दिसंबर 1984 में रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के तौर पर 1978-79 में उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के एशियाई व अफ्रीकी अध्ययन स्कूल द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया पर हुए एक सम्मेलन में भाग लिया। राव भारतीय विद्या भवन के आंध्र केंद्र के भी अध्यक्ष रहे। वे 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री, 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री एवं 31 दिसंबर 1984 से 25 सितम्बर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने 5 नवंबर 1984 से योजना मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था। 25 सितम्बर 1985 से उन्होंने राजीव गांधी सरकार के मंत्रीमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में पदभार संभाला।
*डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी
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