भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बुरी खबर: एप्पल, गूगल, अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट ने गैर-नागरिक कर्मचारियों को लेकर सख्ती बढ़ाई, H-1B ट्रैवल एडवाइजरी में भी चेतावनी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 अप्रैल।
अमेरिका में टेक दिग्गज कंपनियों — एप्पल, गूगल, अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट — में कार्यरत हजारों भारतीय कर्मचारियों के लिए एक नई चुनौती सामने आई है। इन कंपनियों ने हाल ही में अपने Non-Citizen यानी गैर-अमेरिकी नागरिक कर्मचारियों, विशेष रूप से H-1B वीजा होल्डर्स, के लिए नीतियों को सख्त करना शुरू कर दिया है। साथ ही, हाल ही में जारी की गई H-1B ट्रैवल एडवाइजरी ने भी इन कर्मचारियों के लिए चिंता बढ़ा दी है।

सूत्रों के अनुसार, इन टेक कंपनियों ने गैर-अमेरिकी कर्मचारियों को सलाह दी है कि वे जब तक आवश्यक न हो, तब तक अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचें। इसके पीछे का तर्क यह बताया जा रहा है कि बदलती वीजा नीतियों, जियो-पॉलिटिकल तनाव और अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग की सख्त निगरानी के कारण वीजा स्टैम्पिंग और एंट्री प्रोसेस में अनावश्यक देरी और जटिलताएं उत्पन्न हो रही हैं।

H-1B वीजा धारकों में सबसे बड़ी संख्या भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की है। अमेज़न, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में बड़ी संख्या में भारतीय कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो अब इस नई एडवाइजरी और कंपनियों के रवैये से असमंजस में हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रुख लंबे समय तक जारी रहता है, तो भारत-अमेरिका आईटी सहयोग पर भी असर पड़ सकता है।

हाल में अमेरिकी आव्रजन सेवा (USCIS) और विदेश विभाग ने एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है जिसमें H-1B धारकों को यह सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले अपने डॉक्युमेंट्स की दोबारा जांच करें, क्योंकि सीमा पर वीजा के नियमों में बदलाव लागू किए जा सकते हैं।

एडवाइजरी में यह भी उल्लेख है कि कुछ यात्रियों को अप्रत्याशित पूछताछ और प्रोसेसिंग में देरी का सामना करना पड़ सकता है।

टेक कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उनके ऑपरेशंस में बाधा न आए और कर्मचारी समय पर अमेरिका में कार्य करने के लिए उपलब्ध रहें। इसी कारण से वे फिलहाल जोखिम से बचने की रणनीति अपना रही हैं।

भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है। एक ओर अमेरिकी टेक कंपनियों की सतर्कता और दूसरी ओर ट्रैवल एडवाइजरी से उत्पन्न असमंजस ने वीजा धारकों को चिंतित कर दिया है।

अगर आने वाले महीनों में अमेरिकी प्रशासन वीजा नीतियों में कोई स्पष्टता नहीं लाता, तो यह मुद्दा भारत-अमेरिका संबंधों में भी चर्चा का केंद्र बन सकता है।

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