समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 सितम्बर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2011 में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु की आधारशिला रखी थी। यह परियोजना बिहार के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद है, लेकिन इस परियोजना की प्रगति धीमी रही है।
परियोजना की विशेषताएँ
बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु की कुल लंबाई 5.575 किलोमीटर है, और इसका संपर्क पथ 45 किलोमीटर लंबा होगा। इस पुल के निर्माण में कुल 1603 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की योजना है। यह पुल गंगा नदी पर निर्माणाधीन है, जो कि राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग का काम करेगा।
निर्माण की प्रगति
हालांकि इस परियोजना की महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी है, लेकिन अब तक पुल का लगभग 60 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है। निर्माण कार्य में देरी के कई कारण बताए जा रहे हैं, जिसमें भूमि अधिग्रहण, मौसम की प्रतिकूलता और तकनीकी समस्याएँ शामिल हैं।
परियोजना का महत्व
इस पुल का निर्माण केवल बख्तियारपुर और ताजपुर के बीच संपर्क को मजबूत नहीं करेगा, बल्कि यह बिहार के अन्य हिस्सों के लिए भी परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा। इससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। इसके अलावा, यह परियोजना गंगा नदी पार करने वाले यात्रियों और व्यापारियों के लिए एक सुरक्षित और तेज़ मार्ग प्रदान करेगी।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पुल के निर्माण से उनके जीवन में सुधार होगा और विकास के नए अवसर खुलेंगे। हालांकि, निर्माण में हो रही देरी के कारण उनकी चिंताएँ भी बढ़ी हैं। उन्होंने राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई करने की अपील की है ताकि इस परियोजना को समय पर पूरा किया जा सके।
निष्कर्ष
बख्तियारपुर-ताजपुर गंगा महासेतु नीतीश कुमार के विकासात्मक दृष्टिकोण का प्रतीक है। हालांकि इस परियोजना की प्रगति धीमी है, लेकिन यदि इसे समय पर पूरा किया जाता है, तो यह बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण विकासात्मक उपलब्धि होगी। राज्य सरकार को चाहिए कि वह निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए, ताकि इस ड्रीम प्रोजेक्ट को वास्तविकता में बदलने में कोई कसर न छोड़ी जाए।
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