संभल में बावड़ी की खुदाई पर लगी रोक: ASI ने चेताया, बताया बड़ा खतरा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,2 जनवरी।
संभल जिले में पुरानी बावड़ी की खुदाई का मामला चर्चा में आ गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने खुदाई पर रोक लगाते हुए इसे बड़े खतरे की चेतावनी दी है। ASI की रिपोर्ट के अनुसार, यह खुदाई संरचना को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है और आस-पास की जमीन को अस्थिर बना सकती है।

बावड़ी की ऐतिहासिक महत्वता
संभल की यह बावड़ी ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बावड़ी कई सौ साल पुरानी है और इसका निर्माण तत्कालीन शासकों द्वारा जल संरक्षण और सार्वजनिक उपयोग के लिए किया गया था। हाल ही में स्थानीय स्तर पर इसे पुनः उपयोग में लाने के उद्देश्य से खुदाई शुरू की गई थी।

ASI की चेतावनी
ASI की टीम ने बावड़ी का निरीक्षण करने के बाद पाया कि इसकी संरचना काफी कमजोर हो चुकी है। उन्होंने बताया कि बिना विशेषज्ञ सलाह और उचित तकनीक के खुदाई करने से बावड़ी की दीवारें ध्वस्त हो सकती हैं और आस-पास के इलाकों में भू-धंसाव (land subsidence) का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, यह पुरातात्विक संपत्ति को स्थायी क्षति पहुंचा सकता है।

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
ASI की चेतावनी के बाद स्थानीय प्रशासन ने खुदाई कार्य पर तुरंत रोक लगा दी है। जिला प्रशासन ने कहा है कि विशेषज्ञों की टीम से परामर्श लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी, ताकि बावड़ी को संरक्षित रखा जा सके और इसे सुरक्षित रूप से पुनर्स्थापित किया जा सके।

स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों में इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे बावड़ी की सुरक्षा के लिए सही कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य का कहना है कि इसे जल्द से जल्द उपयोग में लाने के लिए उचित प्रयास किए जाने चाहिए।

संरक्षण की दिशा में आगे की योजना
ASI ने सुझाव दिया है कि बावड़ी के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए विशेषज्ञों की देखरेख में काम किया जाए। इसके लिए आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाया जा सके।

संभल की यह बावड़ी न केवल एक जलस्रोत है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसे संरक्षित करने के लिए प्रशासन और स्थानीय जनता को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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