समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6सितंबर। कोरोना महामारी के दौरान कालें धंधे करने वालें ने लोगों की जिंदगी से बहुत खिलवाड़ किया। कहीं कोरोना से संबधित और दवाइयों को लेकर ब्लैक मार्केटिंग की गई तो कहीं नकली दवाइयों का भी व्यापार खुब फला। जिसके कारण कोरोना की दूसरी लहर में ना जाने कितनी जाने गई। अब इनकी नजर कोरोना रोधी टीके पर है। इन लोगों के कोरोना वैक्सीन का भी डुप्लीकेट इंजेक्शन तैयार कर बेचना शुरू कर दिया है। तीसरी लहर के आने से पहले इस बार केंद्र सरकार सावधान हो गई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के कारोबार का खुलासा होते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों को फर्जी टीके को लेकर सचेत किया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के पहुंचने की खबर मिलने के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कई ऐसे मानक की जानकारी दी है, जिससे ये पता लगाया जा सकेगा कि वैक्सीन असली है या निकली. केंद्र ने इस संबंध में सभी राज्य सरकारों को एक पत्र भी लिखा है. पत्र के जरिए राज्यों को कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी कोरोना वैक्सीन के बारे में कई तरह की जानकारी दी गई है।
कोविशील्ड
– SII का प्रोडक्ट लेबल गहरे हरे रंग में होगा.
– ब्रांड का नाम ट्रेड मार्क के साथ (COVISHIELD) लिखा दिखाई देगा.
– इसके ऊपर CGS NOT FOR SALE भी लिखा होगा.
कोवैक्सीन
– लेबल पर अदृश्य UV हेलिक्स लगा है. इस लेबल को सिर्फ यूवी लाइट में ही देखा जा सकता है.
– लेबल क्लेम डॉट्स के बीच छोटे अक्षरों में COVAXIN लिखा है.
-कोवैक्सिन में ‘X’ दो रंगों में दिखाई पड़ता है, इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहते हैं.
स्पूतनिक-वी
– स्पूतनिक-वी वैक्सीन रूस में मौजूद दो प्लांट में तैयार की गई है. ऐसे में दोनों के लेबल अलग-अलग हैं. हालांकि दोनों में जानकारी एक जैसी ही है, बस मैन्युफेक्चरर का फर्क है.
– रूस से अभी तक जितनी भी वैक्सीन भेजी गई हैं उसमें से सिर्फ 5 एमपूल के पैकेट पर ही इंग्लिश में लेबल लिखा है. इसके अलावा सभी पैकेटों में रूसी में लिखा है.
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