समग्र समाचार सेवा,
बेंगलुरु, 7 जून: बेंगलुरु में एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ की घटना के बाद कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) गहरे विवादों में घिर गया है। अब इस मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है जहां केएससीए के सचिव ए. शंकर और कोषाध्यक्ष ई.एस. जयराम ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उन्होंने गुरुवार रात केएससीए अध्यक्ष रघुराम भट को सौंपा और घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए यह फैसला लिया।
नैतिक जिम्मेदारी का हवाला
शंकर और जयराम ने एक संयुक्त बयान में कहा, “पिछले दो दिनों में जो अप्रत्याशित और दुखद घटनाएं घटीं, उसके मद्देनजर हमने अपने पदों से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। हालांकि, हमारी भूमिका बहुत सीमित रही थी।” यह बयान उस समय आया है जब भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से अधिक घायल हुए हैं। इस कदम को केएससीए की ओर से एक नैतिक जवाबदेही के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि संघ ने तकनीकी रूप से खुद को जिम्मेदार मानने से इनकार किया है।
आयोजन का जिम्मा किसका?
इससे पहले केएससीए ने कर्नाटक हाई कोर्ट को जानकारी दी थी कि 5 जून को हुए विजय जश्न के आयोजन में उसकी भूमिका सिर्फ स्थल उपलब्ध कराने और अनुमति देने तक सीमित थी। भीड़ नियंत्रण और आयोजन प्रबंधन की जिम्मेदारी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और उसके इवेंट पार्टनर डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क पर थी।
Karnataka Cricket Association's Secretary and Treasurer have resigned from their posts.
— Tanuj (@ImTanujSingh) June 7, 2025
स्टेडियम के बाहर भगदड़ उस समय मची जब आरसीबी ने अपने सोशल मीडिया से एक ऐसा पोस्ट हटा दिया जिसमें प्रशंसकों को विजय परेड के लिए आमंत्रित किया गया था। इस पोस्ट को हटाने से भ्रम की स्थिति पैदा हुई और हजारों की संख्या में पहुंचे प्रशंसकों में अफरा-तफरी मच गई। विधान सौधा में आयोजित सम्मान समारोह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन स्टेडियम के बाहर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, FIR दर्ज
कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और फिलहाल केएससीए अधिकारियों के खिलाफ 16 जून तक किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही केएससीए, आरसीबी और डीएनए एंटरटेनमेंट के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें आरसीबी के मार्केटिंग प्रमुख भी शामिल हैं।
सवालों के घेरे में आयोजक
इस घटना के बाद आयोजकों की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। एक तरफ जहां केएससीए ने खुद को आयोजन से अलग बताया है, वहीं दूसरी ओर हजारों की संख्या में जुटी भीड़ को लेकर सुरक्षा और समन्वय की भारी कमी सामने आई है। राज्य प्रशासन, पुलिस व्यवस्था और आयोजन समिति तीनों के बीच तालमेल का अभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।
बेंगलुरु की यह दर्दनाक घटना क्रिकेट और जश्न के नाम पर हुई प्रशासनिक लापरवाही की एक और मिसाल बन गई है। भले ही शंकर और जयराम ने अपने पदों से इस्तीफा देकर नैतिक जिम्मेदारी ली हो, लेकिन यह केवल पहली परत है। असली सवाल यह है कि क्या इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सकेगा? और क्या आयोजक, चाहे वे कितने भी बड़े नाम क्यों न हों, पूरी जिम्मेदारी से बच सकते हैं?
अब सबकी निगाहें 16 जून को हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस पूरे मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की दिशा तय होगी।
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