विश्व स्तर पर आयुष को बढ़ावा देने के लिए भारत और WHO के बीच ऐतिहासिक समझौता

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 मई: भारत ने आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता किया है, जिसके तहत आयुष प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य हस्तक्षेप वर्गीकरण (ICHI) में शामिल किया जाएगा। यह समझौता 24 मई 2025 को किया गया, जिससे ICHI के अंतर्गत पारंपरिक चिकित्सा का एक समर्पित मॉड्यूल शुरू हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड में इस पहल की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “यह कदम आयुष को वैज्ञानिक तरीके से दुनिया के अधिकतम लोगों तक पहुंचाने में मदद करेगा।” इस नए वर्गीकरण में आयुर्वेद, योग, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को शामिल किया जाएगा, जिससे पंचकर्म, योग चिकित्सा और यूनानी उपचार जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक मान्यता मिलेगी।

इस समावेशन से पारदर्शी बिलिंग, उचित मूल्य निर्धारण, स्वास्थ्य बीमा में आयुष उपचारों का समावेश, बेहतर अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सीय अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इससे पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं की वैश्विक पहुँच बढ़ेगी।

WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अडहानोम गेबरेयेसस ने इस समझौते का स्वागत किया और भारत द्वारा WHO के पारंपरिक चिकित्सा कार्यों के लिए किए गए 3 मिलियन डॉलर के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने इसे #HealthForAll के लक्ष्य की ओर महत्वपूर्ण कदम बताया।

यह नया पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल WHO के अंतरराष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (ICD-11) को पूरा करता है, जिससे भारत की समृद्ध पारंपरिक चिकित्सा विरासत वैश्विक स्वास्थ्य नीति और प्रथाओं में एक साक्ष्य-आधारित और अभिन्न हिस्सा बन जाएगी।

इस साझेदारी के जरिए भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को सस्ती, सुलभ और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा के रूप में वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलना सुनिश्चित होगा।

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