भूपेंद्र यादव ने पांच राज्यों में अरावली पर्वत श्रृंखला के आसपास के 5 किमी के बफर क्षेत्र को हरित बनाने की एक बड़ी पहल के रूप में अरावली ग्रीन वाल परियोजना का शुभारम्भ किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 मार्च। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध, जल संरक्षण प्रयासों और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से अरावली को पुनर्जीवित करने के लिए आगे बढ़ रहा है। भूपेंद्र यादव ने आज हरियाणा के टिकली गांव में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। इस पहल का उद्देश्य पांच राज्यों में फैली अरावली पर्वत श्रंखला के लगभग 5 किमी के बफर क्षेत्र को हरित बनाना है। कार्यक्रम के दौरान, भूपेंद्र यादव ने वानिकी के माध्यम से मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण का मुकाबला करने के लिए एक कार्ययोजना और भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा कृषि वानिकी पर प्रकाशित एफएक्यू का अनावरण किया। केंद्रीय मंत्री ने एक पौधारोपण अभियान में भी भाग लिया।
इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के तहत वनरोपण, पुनः वनीकरण और जल स्रोतों की बहाली के माध्यम से न सिर्फ अरावली के हरित क्षेत्र और जैव विविधता में बढ़ोतरी होगी, बल्कि क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता, पानी की उपलब्धता और जलवायु में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर, आय सृजन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करके लाभान्वित करेगी। उन्होंने परियोजना को लागू करने में सहयोग और समर्थन के लिए हरियाणा वन विभाग और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की और साथ ही, 2030 तक अतिरिक्त 2.5 बिलियन टन कार्बन सिंक के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल स्रोतों के कायाकल्प और स्थानीय धाराओं के जलग्रहण से समग्र मिट्टी की नमी, उत्पादकता और सूखे कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने रेस्टोरेशन, सामाजिक-आर्थिक कारकों और विकास गतिविधियों के बीच तालमेल विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डाला, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संरक्षण और विकास दोनों को हासिल किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में, हरियाणा के वन एवं वन्यजीव मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से वनरोपण और पतित वनों की बहाली के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राज्य के हरित क्षेत्र को बढ़ाने और इसके वन्य जीवन की रक्षा के लिए वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने विशेष रूप से हरियाणा के संदर्भ में अरावली परिदृश्य की बहाली के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की। इस कार्यक्रम में भारत सरकार और हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
हरियाणा में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट
शुरुआती चरण में, परियोजना के तहत 75 जल स्रोतों का कायाकल्प किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 25 मार्च को अरावली परिदृश्य के प्रत्येक जिले में पांच जल स्रोतों से होगी। परियोजना में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान और जल संसाधनों का संरक्षण भी शामिल होगा। यह परियोजना गुड़गांव, फरीदाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ और हरियाणा के रेवाड़ी जिलों में बंजर भूमि को शामिल करेगी।
स्वैच्छिक संगठन, सोसाइटी फॉर जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट और एनजीओ, आईएमगुड़गांव क्रमशः बंधवाड़ी और घाटबंध में जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिए श्रमदान के उद्देश्य से लोगों को जुटाने के काम में लगे हुए हैं।
अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के बारे में
अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट केंद्रीय वन मंत्रालय के भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए देश भर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के विजन का हिस्सा है। इस परियोजना में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली राज्य शामिल हैं जहां 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर अरावली की पहाड़ियां फैली हैं। इस परियोजना में तालाबों, झीलों और नदियों जैसे सतही जल स्रोतों के कायाकल्प और पुनर्स्थापन के साथ-साथ झाड़ियों, बंजर भूमि और खराब वन भूमि पर पेड़ों और झाड़ियों की मूल प्रजातियों को लगाना शामिल होगा। यह परियोजना स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी और चरागाह विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
Addressed an event to inaugurate the Aravali Green Wall initiative in Tikli, Gurugram.
Under PM Shri @narendramodi ji, through various initiatives like single-use plastic ban, water conservation efforts and natural resources protection, India is moving to revive the Aravalis. pic.twitter.com/A3FkKr9cqd
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) March 25, 2023
अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
. अरावली रेंज के पारिस्थितिकी सेहत में सुधार
. थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने और हरित बाधाओं को बनाकर भूमि क्षरण को कम करना, जो मिट्टी के कटाव, मरुस्थलीकरण और धूल भरी आंधियों को रोकेंगे।
. यह हरित दीवार अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियों को लगाकर, वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करके, पानी की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करके अरावली रेंज की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिए कार्बन पृथक्करण और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगी।
. वनीकरण, कृषि-वानिकी और जल संरक्षण गतिविधियों से स्थानीय समुदायों को जोड़कर सतत विकास और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना जिससे आय, रोजगार, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक लाभ सामने आएंगे।
. इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकारों, वन विभागों, अनुसंधान संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और स्थानीय समुदायों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा निष्पादित किया जाएगा। परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण, तकनीकी कौशल, नीति समन्वय और जन जागरूकता आदि पर काम किया जाएगा।
.यूएनसीसीडी (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कम्बैट डायवर्सिफिकेशन), सीबीडी (कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी) और यूएनएफसीसीसी (यूनाइटेशन नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के लिए योगदान करना।
.पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास में वैश्विक लीडर के रूप में भारत की छवि को आगे बढ़ाना।
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