समग्र समाचार सेवा
हैदराबाद, 30 जून: तेलंगाना में गिग श्रमिकों के लिए जल्द ही ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने साफ कर दिया है कि वह राज्य के 4.2 लाख गिग कर्मियों के अधिकारों और कल्याण के लिए एक मजबूत कानून लाने की तैयारी में है।
श्रमिक न्याय पर फोकस
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को साफ शब्दों में कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी का दृष्टिकोण हमेशा से श्रमिक न्याय को प्राथमिकता देने का रहा है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि जल्द ही तेलंगाना सरकार गिग वर्कर्स के हित में एक ठोस कानून लाने जा रही है, जो न सिर्फ उनके रोजगार को सुरक्षित करेगा, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय को भी मजबूती देगा।
तेलंगाना में @INCIndia सरकार राज्य के 4.2 लाख गिग वर्कर्स के संरक्षण और सहायता के लिए एक अहम विधेयक लाने जा रही है। इस प्रस्तावित कानून की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-
* एग्रीगेटर द्वारा गिग वर्कर्स का पंजीकरण अनिवार्य होगा
* गिग वर्कर्स, एग्रीगेटर्स और सरकार के प्रतिनिधियों…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 30, 2025
एग्रीगेटर्स को होगा पंजीकरण अनिवार्य
इस प्रस्तावित विधेयक के तहत गिग कर्मियों के लिए कई अहम प्रावधान होंगे। एग्रीगेटर्स यानी ऐप आधारित कंपनियों को गिग श्रमिकों का अनिवार्य पंजीकरण कराना होगा। इसके अलावा, एक त्रिपक्षीय बोर्ड बनाया जाएगा जिसमें श्रमिकों के साथ एग्रीगेटर कंपनियां और सरकार भी शामिल रहेंगी। यह बोर्ड गिग वर्कर्स के कल्याण कोष का प्रबंधन करेगा ताकि किसी भी आपात स्थिति में श्रमिकों को सुरक्षा और सहयोग मिल सके।
कांग्रेस शासित तीसरा राज्य होगा तेलंगाना
जयराम रमेश ने कहा कि राजस्थान और कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना तीसरा राज्य होगा जहां गिग कर्मियों के अधिकारों को लेकर कानून बनेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिर्फ कांग्रेस की सरकारें ही गिग वर्कर्स को सम्मानजनक और सुरक्षित कामकाज का माहौल देने में आगे आ रही हैं।
राहुल गांधी का पुराना वादा पूरा
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान गिग वर्कर्स के अधिकारों को कानूनी सुरक्षा देने का वादा किया था। अब सरकार इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। पिछले शुक्रवार को तेलंगाना के श्रम मंत्री जी विवेक वेंकट स्वामी ने भी विधानसभा में कहा था कि सरकार जल्द ही गिग कर्मियों के लिए कल्याणकारी कानून पेश करेगी।
तेलंगाना में ओला, उबर, जोमैटो, स्विगी जैसी ऐप आधारित सेवाओं से हजारों युवा जुड़े हुए हैं। ऐसे में यह कानून इन युवाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा का कवच बनेगा।
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