मुख्‍तार अंसारी के बेटे अब्‍बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, हथियार लाइसेंस मामले में मंजूर की जमानत याचिका

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की जमानत याचिका मंजूर कर ली। अब्बास अंसारी पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने शूटिंग प्रतियोगिताओं के बहाने विदेशी बंदूकें खरीदने का मामला दर्ज किया था। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “कैद की अवधि और आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता जमानत पाने का हकदार है।”

पीठ में न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने अब्बास अंसारी को ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अब्बास अंसारी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता को मौजूदा मामले में झूठा फँसाया गया है। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, वह अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण पीड़ित है।”

दूसरी ओर, अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। शीर्ष अदालत ने जनवरी में जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था और चार सप्ताह की अवधि के भीतर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब माँगा था।

पिछले साल नवंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अब्बास की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। उस पर भारतीय राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन द्वारा जारी आयात परमिट का उल्लंघन करते हुए एक पिस्तौल, एक राइफल और छह बैरल के आयात का आरोप है। इसके अलावा उसने प्रतिबंधित बोर वाले दो बैरल और बिना परमिट के तीन अतिरिक्त बैरल तथा एक पिस्तौल के आयात का भी आरोप है।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि अब्बास ने एक रिवॉल्वर का विज्ञापन लाइसेंस लिया था और उसके पास 4,431 कारतूस थे। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा था कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा विधायक होने के नाते अब्बास से किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में देश के कानूनों का अधिक सम्मान करने की उम्मीद की जाती है।

अब्बास के खिलाफ 2019 में लखनऊ के महानगर थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 467, 468 और 471 के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी। बाद में मामले की जाँच उत्तर प्रदेश एसटीएफ को सौंप दी गई। जाँच से पता चला कि अब्बास ने मुख्तार अंसारी के अंतर्राष्ट्रीय संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए शूटिंग प्रतियोगिताओं के नाम पर कथित तौर पर सिल्वेनिया से अत्याधुनिक हथियार खरीदे, लेकिन हथियारों का इस्तेमाल किसी प्रतियोगिता में नहीं, बल्कि अवैध गतिविधियों में किया गया था।

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