बिहार विधानसभा चुनाव 2025: इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूला फाइनल, तेजस्वी की अगुवाई में बन रही रणनीति
समग्र समाचार सेवा
पटना, 18 जून: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला अब लगभग तय माना जा रहा है। गठबंधन की चौथी बैठक 12 जून को तेजस्वी यादव के आवास पर हुई थी, जिसमें कांग्रेस, आरजेडी, लेफ्ट पार्टियां, वीआईपी और पशुपति पारस की पार्टी समेत सभी प्रमुख घटक दलों ने भाग लिया।
बैठक में तेजस्वी यादव ने सभी दलों से सीटों के साथ संभावित प्रत्याशियों की सूची सौंपने को कहा था। कांग्रेस और सीपीआई माले ने प्रत्याशियों के नाम तो साझा नहीं किए, लेकिन सीटों की सूची आरजेडी को सौंप दी है। इससे गठबंधन में सीट बंटवारे की प्रक्रिया ने गंभीर मोड़ ले लिया है।
कांग्रेस ने 70 सीटों की सूची सौंपी, पर घट सकती हैं सीटें
कांग्रेस ने इस बार भी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई है। पार्टी ने 2020 में जीती गई 19 सीटों के अलावा 39 ऐसी सीटों को चुना है जहां वह दूसरे नंबर पर रही थी। हालांकि, शुरुआती बातचीत से संकेत मिल रहा है कि कांग्रेस को 55 से 60 सीटों तक पर ही समझौता करना पड़ सकता है। सीटों की संख्या भले घटे, पर पार्टी का फोकस अब जीतने योग्य सीटों पर अधिक है।
पारस और सहनी के लिए कांग्रेस-आरजेडी को करना होगा त्याग
इंडिया गठबंधन में पशुपति पारस और मुकेश सहनी की मौजूदगी के कारण इस बार सहयोगी दलों की संख्या बढ़ी है। ऐसे में आरजेडी और कांग्रेस को कुछ सीटों का त्याग करना होगा। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने 60 सीटों की मांग रखी है, जबकि पारस सम्मानजनक सीटें मिलने की शर्त पर गठबंधन में बने रहेंगे। अभी दोनों दलों ने अपनी औपचारिक सूची आरजेडी को नहीं सौंपी है।
माले की मांग 42 सीटों की, पिछली बार 19 पर लड़ी थी
सीपीआई माले ने पिछली बार 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी ने 42 सीटों की मांग रखी है। पार्टी का तर्क है कि अगर उसे ज्यादा सीटें मिलती हैं तो गठबंधन का परफॉर्मेंस और बेहतर हो सकता है। माले ने नालंदा, गया, औरंगाबाद, चंपारण और मिथिला क्षेत्र में सीटें मांगी हैं।
विनेबिलिटी के आधार पर उम्मीदवार तय करने की रणनीति
इंडिया गठबंधन ने कोटा सिस्टम की जगह विनेबिलिटी यानी जीत की संभावना के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करने का फैसला लिया है। गठबंधन की बैठकों में तय किया गया है कि पिछली बार जिन सीटों पर 15,000 से ज्यादा वोटों से हार हुई थी, वहां नए उम्मीदवारों को मौका मिलेगा।
2024 के एजेंडे पर बनेगा चुनावी कैंपेन
गठबंधन की रणनीति 2024 लोकसभा चुनाव के एजेंडे को आगे बढ़ाने की है। सामाजिक समानता और संविधानिक सम्मान को इस बार भी केंद्रीय मुद्दा बनाया गया है। कांग्रेस, आरजेडी, लेफ्ट, वीआईपी और पारस की पार्टी सभी इस एजेंडे पर एकमत नजर आ रही हैं। अगले 15 दिनों में ज्वाइंट कैंपेन की शुरुआत के साथ केंद्रीय नेताओं की सक्रियता भी बढ़ने वाली है।
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