समग्र समाचार सेवा,
पटना, 9 जून: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। हर राजनीतिक दल जनता का समर्थन पाने की कोशिश में जुटा है। इस बीच, राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने चुनावी मैदान में उतरते हुए नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला है।
बिहार के कई जिलों में जारी ‘बदलाव यात्रा’ के दौरान प्रशांत किशोर ने राज्य सरकार की नीतियों को विफल करार देते हुए एक के बाद एक कई बड़े वादे किए और सत्ताधारी दलों पर सवालों की बौछार कर दी।
60+ बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन पर हमला
प्रशांत किशोर ने 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को दी जाने वाली ₹400 की मासिक पेंशन पर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा:
“महंगाई के इस दौर में 400 रुपये की पेंशन भीख से भी कम है। भिखारी को भी इससे ज़्यादा मिलता है।”
उन्होंने वादा किया कि अगर जन सुराज पार्टी की सरकार बनती है तो दिसंबर 2025 से सभी 60+ नागरिकों को ₹2000 मासिक पेंशन दी जाएगी।
रोजगार को लेकर बड़ा ऐलान
बेगूसराय में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने बेरोजगारी को राज्य की सबसे बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा:
“इस बार दीवाली और छठ पर बिहार के युवा अपने घर में ही रहेंगे, बाहर कमाने नहीं जाना पड़ेगा।”
उन्होंने वादा किया कि बिहार में ही ₹10,000 से ₹12,000 प्रति माह के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
शिक्षा सुधार की दिशा में नई योजना
प्रशांत किशोर ने शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का संकल्प लिया। उन्होंने घोषणा की कि अगर उनकी सरकार बनती है तो दिसंबर 2025 से 15 साल से कम उम्र के गरीब बच्चों को प्राइवेट इंग्लिश स्कूलों में पढ़ाई का मौका मिलेगा।
स्कूल की पूरी फीस सरकार द्वारा वहन की जाएगी, जिससे गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
अन्य दलों पर सीधा निशाना
अपने भाषणों में प्रशांत किशोर ने JDU, RJD और BJP तीनों पर निशाना साधा। उन्होंने जनता से सवाल किया:
“आपको 5 किलो अनाज चाहिए या स्थायी रोजगार?
जातीय राजनीति चाहिए या बच्चों की अच्छी पढ़ाई?”
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता सच्चे विकल्प को चुने, जो केवल वादे न करे बल्कि बदलाव लेकर आए।
बदलाव यात्रा: जन सुराज की जमीन तैयार करने की कोशिश
प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार में ‘बदलाव यात्रा’ पर निकले हुए हैं। यह यात्रा सिताब दीयारा से शुरू हुई थी और अब राज्य के कई जिलों में पहुंच चुकी है।
हर सभा में वे जन संवाद के जरिए जनता की नब्ज़ समझने और उन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
उनका यह अभियान साफ इशारा करता है कि वे इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में न सिर्फ रणनीतिकार बल्कि राजनीतिक शक्ति के रूप में भी अपनी छाप छोड़ने की तैयारी में हैं।
बिहार चुनावी रंग में इस बार प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी नई ऊर्जा और नए वादों के साथ उतरती नजर आ रही है।
बुजुर्ग पेंशन, रोजगार और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों को केंद्र में रखकर प्रशांत किशोर ने जो आक्रामक चुनावी रणनीति अपनाई है, उसने स्थापित दलों की नींद उड़ाने का काम किया है।
अब देखना यह होगा कि क्या जनता इस नए राजनीतिक प्रयोग को समर्थन देती है या फिर पारंपरिक दलों पर ही भरोसा जताती है।
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