बिहार चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक वापसी तय! ओपिनियन पोल्स में दिखी नीतीश की लोकप्रियता और बीजेपी की बढ़त

चार प्रमुख सर्वेक्षणों में एनडीए को 40-52% वोट शेयर और 130-158 सीटों की संभावना, महागठबंधन पिछड़ता नजर आया — नीतीश अब भी ‘सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री’

परोमिता दास

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर: बिहार की सियासत एक बार फिर करवट लेने को तैयार है। विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जारी ओपिनियन पोल्स में स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) इस बार न केवल सत्ता में वापसी कर सकता है बल्कि 2010 की ऐतिहासिक जीत को भी दोहरा सकता है। अब तक सामने आए पाँच प्रमुख सर्वेक्षणों — मैट्रिक्स, जेवीसी ओपिनियन पोल, स्पीक मीडिया नेटवर्क और वोट वाइब — सभी में एनडीए के पक्ष में हवा बहती दिख रही है।

एनडीए को मिल सकता है स्पष्ट बहुमत

चार प्रमुख ओपिनियन पोल्स के औसत आंकड़े बताते हैं कि एनडीए को इस बार 40 से 52 प्रतिशत वोट शेयर और 130 से 158 सीटें मिलने की संभावना है। यह 2020 के चुनाव में मिले 125 सीटों और 37.26% वोट शेयर की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है।
सर्वे बताते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता के बीच स्थिरता और सुशासन की छवि अब भी कायम है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र की योजनाओं का असर बिहार की राजनीति पर भी साफ दिख रहा है।

मैट्रिक्स सर्वे: 52% लोग देंगे एनडीए को वोट

मैट्रिक्स सर्वे में एनडीए को 43% वोट शेयर मिलता दिखाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि जब लोगों से पूछा गया कि यदि आज चुनाव हों तो वे किसे वोट देंगे, तो 52% मतदाताओं ने एनडीए का समर्थन किया।
सर्वे के अनुसार, 76% लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज से संतुष्टि जताई। शासन के सवाल पर 35% लोगों ने भाजपा को और 18% ने जदयू को अच्छा प्रशासन देने वाला दल बताया।
यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि ‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार अब भी जनता के बीच भरोसे का प्रतीक बने हुए हैं, खासकर ग्रामीण और मध्यम वर्गीय मतदाताओं में।

मुख्यमंत्री की पसंद में नीतीश आगे

सर्वेक्षण में 42% लोगों ने नीतीश कुमार को अगला मुख्यमंत्री देखने की इच्छा जताई, जबकि तेजस्वी यादव 25% समर्थन के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि बीस साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रहने के बावजूद नीतीश की स्वीकार्यता में गिरावट नहीं आई है।

महागठबंधन पिछड़ता दिखा

एनडीए को जहां 41-45% वोट शेयर और 131-150 सीटों का अनुमान है, वहीं महागठबंधन को केवल 40% वोट शेयर और 81-103 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
जन सुराज, जो प्रशांत किशोर के नेतृत्व में तीसरा विकल्प बनने की कोशिश में है, को 10-11% वोट और 4-6 सीटों का अनुमान है।
विश्लेषकों के मुताबिक, महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह रोजगार और विकास जैसे मुद्दों पर जनता से जुड़ने में पिछड़ गया है।

स्पीक मीडिया नेटवर्क: एनडीए को 158 सीटों तक

स्पीक मीडिया नेटवर्क के सर्वे ने एनडीए को और भी मजबूत स्थिति में दिखाया है।
इस सर्वे के अनुसार, एनडीए को 46% वोट शेयर के साथ 158 सीटें, जबकि महागठबंधन को 41% वोट शेयर के साथ मात्र 66 सीटें मिलने की संभावना है।
जन सुराज को 8% वोट, परंतु कोई सीट नहीं मिलने की बात कही गई है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को चार सीटों का अनुमान दिया गया है।

महिला रोजगार योजना पर असर

वोट वाइब सर्वे में एक दिलचस्प ट्रेंड सामने आया। जब मतदाताओं से पूछा गया कि महागठबंधन की “महिला रोजगार योजना” (10,000 रुपये मासिक) उनके वोटिंग निर्णय को कितना प्रभावित करती है, तो 34.9% लोगों ने महागठबंधन को और 34.8% ने एनडीए को समर्थन दिया।
हालांकि, करीब 5.8% मतदाता, जो पहले महागठबंधन या जन सुराज के समर्थक थे, अब एनडीए की नीतियों से प्रभावित होकर उसका समर्थन करने की बात कह रहे हैं।
इस बदलाव ने एनडीए का वोट शेयर 40% से ऊपर पहुंचा दिया है, जो परिणामों को निर्णायक बना सकता है।

नीतीश-मोदी फैक्टर का असर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बिहार चुनाव में दो मुख्य फैक्टर निर्णायक रहेंगे —

  1. नीतीश कुमार की शासन स्थिरता और सामाजिक समीकरणों पर पकड़
  2. नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ
    विशेष रूप से ग्रामीण बिहार में “प्रधानमंत्री आवास योजना”, “उज्ज्वला योजना” और “लाडली लक्ष्मी” जैसी योजनाओं का असर एनडीए के वोट बैंक को मज़बूती दे रहा है।

जनता में स्थिर सरकार की चाह

सर्वे में एक बड़ा निष्कर्ष यह भी सामने आया कि अधिकांश मतदाता इस बार राज्य में स्थिर और अनुभवी नेतृत्व चाहते हैं। युवाओं के बीच रोजगार को लेकर असंतोष जरूर है, परंतु वे इसे विकास की प्रक्रिया का हिस्सा मान रहे हैं।
वहीं, महागठबंधन में एकजुटता की कमी, उम्मीदवार चयन में विवाद, और क्षेत्रीय दलों के बीच असहमति को जनता ने नकारात्मक रूप में देखा है।

संभावित समीकरण और निष्कर्ष

कुल मिलाकर, सभी सर्वेक्षणों के संयुक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि —

  • नडीए को 130-158 सीटें और 40-52% वोट शेयर मिल सकता है।
  • महागठबंधन को 66-103 सीटें और 37-41% वोट शेयर का अनुमान है।
  • जन सुराज और अन्य दलों का प्रभाव सीमित रहेगा।

2025 का यह चुनाव बिहार की राजनीति के लिए एक “परिवर्तनकारी चुनाव” साबित हो सकता है — न केवल एनडीए की संभावित वापसी के कारण, बल्कि राज्य में भविष्य के नेतृत्व, विकास मॉडल और गठबंधन राजनीति के नए समीकरण तय करने के लिए भी।

 

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