समग्र समाचार सेवा
पटना, 28 सितंबर: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव से पहले जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पिछले दो साल से राज्य में लगातार यात्रा कर रहे हैं। उनकी रैलियों में भीड़ जुट रही है और वे विपक्ष और सत्ता दोनों पर हमलावर हैं।
हालांकि, लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या पीके की जन सुराज पार्टी सत्ता में आ सकती है? इस सवाल का जवाब एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने दिया है।
प्रदीप गुप्ता ने ANI से बातचीत में कहा,
“बिहार में बीते दो साल में प्रशांत किशोर की लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन सत्ता तक पहुंचना अभी बहुत दूर की बात है। चुनाव में वे दूसरी पार्टियों जैसे बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी के वोट जरूर काटेंगे, लेकिन पूरी सरकार बनाना आसान नहीं है।”
‘कुछ सीटें जीत सकते हैं, सत्ता में आना मुश्किल’
गुप्ता ने कहा,
“प्रशांत किशोर इस बार कुछ सीटें जीत सकते हैं, लेकिन सरकार बनाने का सफर लंबा और कठिन है। चुनावी जनाधार बनाने में समय लगता है और यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। बिहार की 243 सीटों पर जनता का भरोसा जीतना और सरकार बनाना समय मांगता है।”
#WATCH | In an interview to ANI, Axis My India CMD Pradeep Gupta says, "Prashant Kishor might win some seats this time, but coming into power is a very distant thing… He is gaining traction. He has been organising rallies for two years, but securing votes is a different… pic.twitter.com/vDT7TGt3cM
— ANI (@ANI) September 28, 2025
लोकप्रियता और वास्तविक वोट में फर्क
प्रदीप गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशांत किशोर की लगातार रैलियों से उनकी पहचान और लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह वोटों में बदले। उन्होंने कहा,
“आपकी सभा में जुटने वाली भीड़ और वास्तविक वोट में फर्क होता है। लोकप्रियता को वास्तविक जनाधार में बदलना कोई गारंटी नहीं है।”
जनविश्वास बनाना चुनौतीपूर्ण
गुप्ता के अनुसार बड़े सार्वजनिक दायरे में जनता का भरोसा जीतना बहुत कठिन काम है। उन्होंने कहा,
“जनता को भरोसा दिलाना और स्थायी समर्थन पाना प्रशांत किशोर के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसे हासिल करने के लिए समय, मेहनत और रणनीति की जरूरत है।”
इस तरह, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की राजनीतिक पहचान और लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन सत्ता तक पहुंचने का रास्ता अभी लंबा और चुनौतीपूर्ण दिखाई दे रहा है।
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