बिहार चुनाव: बीजेपी में टिकट कटौती से आंतरिक विद्रोह, अमित शाह पटना में चुनौती के सामने

समग्र समाचार सेवा

पटना, 16 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच भाजपा अपनी सभी 101 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। इस बार पार्टी ने 17 विधायकों के टिकट काटे हैं, जिससे कई नेताओं में नाराजगी और विद्रोही रुख देखने को मिल रहा है। मिश्रीलाल यादव जैसे नेता पार्टी छोड़ने की घोषणा कर चुके हैं।

बीजेपी के भीतर पुराने और नए नेताओं के बीच संघर्ष पहले से बढ़ा हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पहले ही निर्देश दिए थे कि आंतरिक विवादों को सुलझाया जाए, लेकिन बिहार में यह लड़ाई अभी भी जारी है। पार्टी के तीन प्रमुख नेता—अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और आरके सिंह—विद्रोही रुख अपना चुके हैं।

नेताओं के बीच मतभेद

टिकट वितरण के लिए बनाई गई कोर ग्रुप से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का नाम हटाने से स्थानीय नेताओं के बीच कटुता बढ़ गई है। यह विवाद तब और गहराया जब दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई बैठक में इन नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया।

स्थानीय नेताओं की बगावत

भागलपुर सीट पर बीजेपी ने रोहित पांडे को उम्मीदवार बनाया है, जो पिछली बार 1113 वोटों से हार गए थे। इसके बाद पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे और वरिष्ठ नेता प्रशांत विक्रम ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

बक्सर के चैनपुर सीट पर जन सुराज पार्टी ने लालमुनि चौबे के बेटे हेमंत चौबे को उम्मीदवार बनाया है, जो बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं। छपरा सीट पर बीजेपी ने छोटी कुमारी को उम्मीदवार बनाया, जबकि पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।

गोपालगंज में कुसुम देवी का टिकट काटकर सुभाष सिंह को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद कुसुम देवी और पार्टी के पुराने नेता अनूप लाल श्रीवास्तव ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा की।

बांका लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी उपाध्यक्ष पुतुल कुमारी ने पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया, जिसके कारण उन्हें पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित किया। पुतुल का चुनाव लड़ना एनडीए के जेडीयू उम्मीदवार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

महाराजगंज से बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय ने पार्टी नेतृत्व को चुनौती देते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और कहा कि उन्हें पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई की कोई परवाह नहीं है।

अमित शाह का पटना दौरा

गृहमंत्री अमित शाह आज तीन दिनों के लिए पटना दौरे पर जा रहे हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने विद्रोही नेताओं को संभालना और एनडीए में जेडीयू, एलजेपी और हम के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अमित शाह की सक्रिय भूमिका पार्टी की आंतरिक असंतोष को नियंत्रित करने में निर्णायक होगी।

बीजेपी के लिए यह चुनाव केवल बाहरी मुकाबले की लड़ाई नहीं है, बल्कि आंतरिक नेतृत्व और अनुशासन बनाए रखने की भी परीक्षा है।

 

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