समग्र समाचार सेवा
पटना, 13 जुलाई: बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान ने प्रदेश की मतदाता सूची में एक बड़ी खामी उजागर की है। बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) द्वारा घर-घर जाकर की गई जांच में पता चला है कि बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों ने खुद को भारतीय मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने की कोशिश की थी।
सूत्रों के मुताबिक इन लोगों ने आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और राशन कार्ड जैसे वैध दस्तावेज भी बनवा लिए थे, जिससे उनकी पहचान को पकड़ पाना और मुश्किल हो गया।
एक महीने में होगी अंतिम जांच
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि 1 अगस्त से 30 अगस्त 2025 के बीच ऐसे मामलों की गहन जांच की जाएगी। अगर इस दौरान विदेशी नागरिकों की उपस्थिति की पुष्टि होती है तो उनके नामों को मतदाता सूची से हटाया जाएगा।
निर्वाचन आयोग के अनुसार अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी। यह सूची राज्य के विधानसभा चुनावों के लिए अहम दस्तावेज होगी, जो इस साल के अंत में होने हैं।
मतदाताओं में दिखा रिकॉर्ड उत्साह
इस बीच चुनाव आयोग ने एक और महत्वपूर्ण आंकड़ा साझा किया है। आयोग के अनुसार शनिवार शाम तक बिहार के 80% से अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं। यह फॉर्म मतदाता सूची के अद्यतन के लिए आवश्यक हैं।
फील्ड स्तर पर 77895 बीएलओ और 20603 नए नियुक्त BLO लगातार घर-घर जाकर काम कर रहे हैं ताकि 25 जुलाई की डेडलाइन से पहले गणना फॉर्म का संग्रह पूरा हो सके। राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में जिला चुनाव अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी और सहायक अधिकारी दिन-रात निगरानी कर रहे हैं ताकि किसी भी गड़बड़ी को समय रहते पकड़ा जा सके।
बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह अभियान प्रदेश में पारदर्शी और शुद्ध मतदाता सूची तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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